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सिचाई एवं राजस्व विभाग उदासीन, खामियाजा भुगत रहे किसान

कभी सूखा से त्राहि माम की स्थिति तो कभी अतिवृष्टि ऐसी की बारिश का पानी आबादी तक दस्तक देता है। खेत और नाला दोनों में जलस्तर एक समान हो जाता है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 09 Nov 2019 05:44 PM (IST)Updated: Sat, 09 Nov 2019 05:44 PM (IST)
सिचाई एवं राजस्व विभाग उदासीन, खामियाजा भुगत रहे किसान
सिचाई एवं राजस्व विभाग उदासीन, खामियाजा भुगत रहे किसान

जागरण संवाददाता, घोसी (मऊ) : कभी सूखा से त्राहि माम की स्थिति तो कभी अतिवृष्टि ऐसी की बारिश का पानी आबादी तक दस्तक देता है। खेत और नाला दोनों में जलस्तर एक समान हो जाता है। इस स्थिति के लिए ग्रामीण से लेकर सिचाई विभाग, राजस्व विभाग एवं चकबंदी विभाग कठघरे में खड़े हैं। नहर की पटरी के किनारे दोनों तरफ जल निकास हेतु छोड़े गए हंटल (नहर के किनारे छोड़ी गई खाईं) पर मकान बन गया। कहीं रास्ता भी बना। पर न पुलिया बनी न पाइप डाला गया। एक सिवान से दूसरे को जाने वाला बाहा एवं नाला कहीं चक में शामिल तो कहीं अतिक्रमण कर मकान बन गया। जलाशय और पोखरी भी अतिक्रमण की भेंट चढ़ गए। प्रतिवर्ष बरसात में जल निकास व्यवस्था की पोल खुलती है। इसका खामियाजा किसान भुगतता है। बावजूद इसके इस विकराल समस्या के बाबत प्रशासन गंभीर नहीं दिखा।

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आजमगढ़ एवं बलिया जनपद की सीमाओं के बीच स्थित घोसी तहसील के 348 राजस्व गांवों के 33631 हेक्टेयर में खेती की जाती है। छोटी सरयू, घाघरा एवं तमसा के बीच उक्त खेती का भाग्य प्रकृति ही तय करती है। क्षेत्र में जलनिकास हेतु परम्परागत तरीका ही अपनाया गया है। विडंबना यह कि चकबंदी के बाद जलनिकासी हेतु बने बाहों का वजूद समाप्त हो गया तो नए चिहित नालों की खुदाई न हो सकी। विभिन्न कार्यदाई संस्थाएं कागजों में नालों एवं ड्रेनों की सफाई करती हैं। इसके चलते तहसील क्षेत्र के दो तिहाई गांव बारिश के बाद जलनिकासी की समस्या से जूझने को विवश हैं। नहर की पटरी के किनारे दोनों तरफ जल निकास हेतु छोड़े गए हंटल (नहर के किनारे छोड़ी गई खाईं) पर मकान बन गया। कहीं रास्ता भी बना। पर न पुलिया बनी न पाइप डाला गया। एक सिवान से दूसरे को जाने वाला बाहा कहीं चक में शामिल तो कहीं अतिक्रमण कर मकान बन गया। जलाशय और पोखरी भी अतिक्रमण की भेंट चढ़ गए। तहसील के पश्चिमी भाग में ताल नरजा, एवं ताल पीउवा पकड़ी में आजमगढ़ के सलोना ताल तक का पानी इकट्ठा होता है। उक्त जल नेशनल हाईवे एवं रेलवे लाइन पार कर मछिला के समीप लासा ताल में आता है। लासा ताल से ताल चंवर होते हुए फरही में पानी जाने का प्रावधान है। उधर नदवासराय क्षेत्र से बरसात का पानी छोटी सरयू नाले से होता हुआ तमसा नदी तक आता है। विभिन्न स्थानों पर जल निकासी हेतु बने नालों एवं बाहों पर अतिक्रमण किये जाने के चलते जल प्रवाह बाधित है। इसके चलते नदवासराय, बोझी, अमिला एवं घोसी नगर के समीपवर्ती क्षेत्रों सहित रघौली से मझवारा के बीच के गांव जलमग्न हो जाते हैं। एक गांव से दूसरे के बीच बारिश के पानी के निकास के लिए छोड़े गए बाहे भी समाप्त हो गए हैं। ऐसे में गांव से पानी बाहर तो जा नहीं पाता वरन गांव में अन्य स्थानों का पानी आ जाता है। दूसरी तरफ बरसात के दिनों में बाढ से उफनाई तमसा का पानी कोपागंज क्षेत्र से होते हुए पिढ़वल, मूंगमांस तक आता है। बसनहीं नाला होकर उक्त पानी गाढ़ा ताल होते हुए आगे घाघरा में मिलता है। बहरहाल इस वर्ष हाल यह कि प्रवाह की गति बेहद धीमी होने के चलते इन नालों एवं बाहों में और इनके किनारे के खेतों में बरसात के पानी का स्तर एक सा है।


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