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ओडीएफ गांवों की जांच शुरू, गर्दन पर लटकी तलवार

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छ भारत मिशन के तहत बीते दो अक्टूबर महात्मा गांधी जयंती पर जनपद को ओडीएफ यानि खुले में शौच से मुक्त कर दिया गया है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 01 Nov 2019 05:38 PM (IST)Updated: Fri, 01 Nov 2019 05:38 PM (IST)
ओडीएफ गांवों की जांच शुरू, गर्दन पर लटकी तलवार
ओडीएफ गांवों की जांच शुरू, गर्दन पर लटकी तलवार

जागरण संवाददाता, मऊ : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छ भारत मिशन के तहत बीते दो अक्टूबर महात्मा गांधी जयंती पर जनपद को 'ओडीएफ' यानि खुले में शौच से मुक्त कर दिया गया है। जबकि मिशन की वेबसाइट पर बेसलाइन सर्वे 2012 के मुताबिक अभी भी 87 फीसदी ही शौचालय बने हैं। इधर प्रदेश सरकार ने मिशन को लेकर सख्त रुख अख्तियार किया है। इसको लेकर जिला प्रशासन ने जिला स्तरीय अधिकारियों तथा ब्लाक स्तरीय कमेटियां गठित की है।

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अब गांवों में घर-घर शौचालय खोजे जाएंगे। इधर प्रदेश सरकार द्वारा मिशन में लापरवाह कई अधिकारियों पर कार्रवाई किए जाने से प्रशासन में हड़कंप मचा है।

स्वच्छ भारत मिशन के तहत जनपद को दो अक्टूबर 2018 को ओडीएफ घोषित करना था। इस दौरान लक्ष्य के सापेक्ष आधे शौचालय ही बन पाए। अधिकतर जनपदों का यह हाल देखते हुए केंद्र सरकार ने तिथि को आगे बढ़ा दिया। हालांकि इस दौरान लोगों को शौचालय निर्माण कराने व व्यवहार परिवर्तन को लेकर जागरूकता अभियान भी चले। अभियान को धता बताने में पूरी मशीनरी जुटी रही। एक-एक दिन में चार से पांच हजार फोटो तक अपलोड किए गए। इसके बारे में न तो कोई पूछने वाला है और ही कोई जांच का डर। हालांकि जनपद में निर्धारित तिथि तक लक्ष्य प्राप्ति के लिए कोरे कागजों में आंकड़ा भरने को लेकर खुल्लम-खुल्ला खेल चला। फिर भी लक्ष्य पूर्ण नहीं हो पाया। स्वच्छता मिशन के तहत बेसलाइन के बाहर वाले परिवारों का शौचालय 15 अगस्त तक पूरा कर लेना था। प्रदेश सरकार ने इसके लिए टाइम लाइन तय कर दिया था। प्रदेश सरकार के सख्त रुख को देखकर गहरी नींद में सो रहा प्रशासन भी जगा तो पर कम समय होने के नाते पूरा जोर निर्माण के बजाय जीयो टैग पर लगा दिया। इसका आलम यह रहा कि रोजाना चार से पांच हजार शौचालयों का जीयो टैग किया गया। जबकि हकीकत यह है कि स्वच्छ भारत मिशन के दौर में पूरी मशीनरी होने के बावजूद भी एक दिन में बमुश्किल लगभग 2500 शौचालय ही एक दिन में जीयो टैग हो पाते थे। उस दौरान खुद जिलाधिकारी प्रकाश बिदु सुबह-शाम मानीटरिग करते थे। यह मिशन लगभग 87 फीसदी पर मिशन अटक गया। स्वच्छ भारत मिशन को पूरा करने के लिए भी केंद्र सरकार ने दो अक्टूबर 2018 की तिथि मुकर्रर की थी परंतु आज तक मिशन पूरा नहीं हो सका। बेसलाइन सर्वे 2012 से बाहर यानि लेफ्ट आउट बेसलाइन परिवारों का शौचालय निर्माण पूरा कर जीयो टैगिग कराने का शासन द्वारा समय निर्धारित कर दिया गया तो अमला खेल पर उतर आया। स्वच्छ भारत मिशन के तहत जनपद में पहले के बने शौचालयों का दूसरी साइड से फोटो अपलोड कर जीयो टैग किया जाने लगा। उधर विभाग का दावा है कि बेसलाइन में 100 फीसदी शौचालयों की जीयो टैगिग कर ली गई है। भले ही विभाग एलओबी के शौचालयों के निर्माण का लाख दावा करें परंतु सच्चाई इसके विपरीत है। अब जब प्रदेश सरकार के आदेश पर जांच शुरू हो गई है तो जिले से लगायत ग्राम पंचायत स्तर तक के जुड़े अधिकारियों-कर्मचारियों में हडकंप मच गया है। केंद्रीय दल ने खोली पोल

स्वच्छ भारत मिशन की हकीकत देखने के लिए लगभग छह माह पूर्व फतहपुर मंडाव ब्लाक में केंद्रीय दल ने डेरा डाल रखा था। इस दौरान कई गांवों का दल ने सत्यापन किया था। इसमें एक ही शौचालयों को कई बार दिखाए जाने का प्रकरण भी उजागर हुआ था। हालांकि केंद्रीय दल की रिपोर्ट को प्रशासन उजागर तो नहीं कर रहा परंतु सूत्रों के अनुसार अनियमितता पाई गई है। इस पर केंद्र सरकार ने प्रदेश सरकार को कड़े निर्देश दिए थे। वर्जन--

जिलाधिकारी के निर्देश पर जिला स्तरीय अधिकारियों की टीम गठित की गई है, जो शौचालय निर्माण की हकीकत को जांचेंगी। इसके साथ ही ब्लाक स्तर पर भी कमेटियां गठित हुई हैं। अभियान के तहत जिन गांवों में अनियमितता पाई जाएगी, उन संबंधित अधिकारियों-कर्मचारियों व प्रधानों पर कार्रवाई होगी।

- संजय मिश्रा, डीपीआरओ। प्वाइंटर--

स्वच्छ भारत मिशन

160707 कुल लक्ष्य

140794 अब तक हुआ निर्माण

87.61 फीसदी निर्माण की स्थिति एलओबी यानि लेफ्ट आउट बेसलाइन

44769 कुल लक्ष्य

100 फीसदी पूर्ण

21,800 को स्वीकृति नहीं


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