रोडवेज के हर रूट पर बढ़ा दबाव, बसें कम
दशहरा पर्व नजदीक होने के चलते महानगरों से उत्सव मनाने गांव आने वालों का सिलसिला तेज हो गया है। इसके चलते रोडवेज के सभी रूटों पर लोकल दूरियों के लिए यात्रियों का दबाव बना हुआ है।
जागरण संवाददाता, मऊ : दशहरा पर्व नजदीक होने के चलते महानगरों से उत्सव मनाने गांव आने वालों का सिलसिला तेज हो गया है। इसके चलते रोडवेज के सभी रूटों पर लोकल दूरियों के लिए यात्रियों का दबाव बना हुआ है। उत्तर प्रदेश परिवहन निगम में चालकों की कमी इस तरह भारी पड़ रही है कि नई बसों को चलाना तो दूर, रूट की पुरानी सेवाओं को ही कायम रख पाने में मुश्किलें आ रही हैं। इससे जहां रोडवेज को घाटा उठाना पड़ रहा है, वहीं विभिन्न रूटों पर यात्रियों को भी बड़ी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। सबसे ज्यादा रात के समय आने वाली ट्रेनों से उतरकर यात्री परेशान हो रहे हैं।
सड़क परिवहन यात्री पहली प्राथमिकता रोडवेज सेवाओं को ही देते हैं। विभिन्न रूटों पर लोकल व लंबी दूरी की सवारियां जमकर निकल रही हैं, लेकिन चालकों के अभाव में रोडवेज न तो यात्रियों के यातायात को सुगम बना पा रहा है और न ही सवारियों का आर्थिक लाभ ले पा रहा है। चालकों के अभाव में न तो बसों के फेरे बढ़ रहे हैं और न ही रूटों पर अतिरिक्त बस सेवाएं ही मिल रही हैं। चालकों-परिचालकों के अभाव से कई बसें रोडवेज प्रांगण में ही खड़ी रह जा रही हैं। मऊ डिपो में संविदा चालकों के कुल 30 पद रिक्त हैं। भर्ती अभियान चलाने के बावजूद अभी तक रोडवेज को 20 चालक ही मिल पाए हैं। रोडवेज के बेड़े में शामिल सभी बसों को चलाने के लिए स्थानीय डिपो को अभी भी 10 संविदा चालकों की जरूरत है। यात्रियों का दबाव बढ़ रहा है। चालक कम होने के चलते रूटों पर चाहकर भी बसें नहीं बढ़ाई जा रही हैं। गोरखपुर रूट पर जरूरत पड़ने पर बसें दी जा रही हैं।
- आरएल पाल, एआरएम, मऊ डिपो।