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उच्च न्यायालय के आदेश पर छह मकान ध्वस्त

जनपद में ग्राम सभा की आरक्षित श्रेणी की भूमि पर अवैध कब्जा करने वालों को प्रशासन ने एक बड़ा सबक दिया है। उच्च न्यायालय के आदेश पर रविवार को घोसी तहसीलदार ओमप्रकाश पांडेय एवं कोतवाल परमानंद मिश्र ने दलबल सहित जामडीह में खलिहान और खाद गड्ढा हेतु आरक्षित भूमि में बने आधा दर्जन पक्के मकान जेसीबी लगाकर ध्वस्त कर दिया।

By JagranEdited By: Published: Sun, 23 Sep 2018 07:25 PM (IST)Updated: Sun, 23 Sep 2018 09:38 PM (IST)
उच्च न्यायालय के आदेश पर छह मकान ध्वस्त
उच्च न्यायालय के आदेश पर छह मकान ध्वस्त

जागरण संवाददाता, घोसी (मऊ) : जनपद में ग्राम सभा की आरक्षित श्रेणी की भूमि पर अवैध कब्जा करने वालों को प्रशासन ने एक बड़ा सबक दिया है। उच्च न्यायालय के आदेश पर रविवार को घोसी तहसीलदार ओमप्रकाश पांडेय एवं कोतवाल परमानंद मिश्र ने दलबल सहित जामडीह में खलिहान और खाद गड्ढा हेतु आरक्षित भूमि में बने आधा दर्जन पक्के मकान जेसीबी लगाकर ध्वस्त कर दिया।

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दरअसल इस गांव के साहब यादव, दिलदार यादव, रामविलास, बालकिशुन, रामप्रवेश एवं रामलाल ने खलिहान एवं खाद गड्ढा हेतु आरक्षित भूमि में कई दशक पूर्व कब्जा कर पहले कटरैन फिर पक्का मकान बना लिया। इस बाबत गांव के ही चांद और उपेंद्र यादव आदि ने कई वर्ष पूर्व शिकायत किया। तहसील दिवस से लेकर जिलाधिकारी तक प्रकरण पहुंचा पर प्रभावी कार्रवाई न होने पर मामला उच्च न्यायालय पहुंचा। अदालत ने कई माह पूर्व ही अतिक्रमण कर बनाए गए भवन गिराए जाने और भूमि ग्राम सभा के स्वामित्व में सौंपे जाने का आदेश दिया। इस आदेश का अनुपालन करते हुए तहसीलदार श्री पांडेय ने कई माह पूर्व कब्जा करने वालों को नोटिस दिया। इसका स्वत: क्रियान्वयन न करने पर तहसीलदार श्री पांडेय, कोतवाल श्री मिश्र, राजस्व निरीक्षक परशुराम यादव, कतवारू, लेखपाल रितेश, सर्वेश ¨सह, जयप्रकाश गुप्ता एवं वरिष्ठ उपनिरीक्षक रमेश चंद्र यादव, उपनिरीक्षक स¨वद्र राय, मनोज ¨सह एवं ¨बदे‌र्श्वरी ¨सह तमाम सिपाहियों एवं होमगार्ड सहित मौके पर पहुंचे। यहां पर जेसीबी की सहायता से सभी मकान दोपहर से देर शाम तक गिराए गए।

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तीन हुए बेघर

अदालत के इस आदेश के अनुपालन के क्रम में सभी कब्जाधारकों ने अपने घर गृहस्थी का सामान हटा लिया था। इस कार्रवाई के चलते साहब यादव, रामप्रवेश एवं बालकिशुन पूर्णतया बेघर हो गए जबकि दिलदार के मकान का कुछ ही हिस्सा बचा है।


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