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नदी के तेज बहाव में बह गए लोगों के अरमान

मुहम्मदाबाद गोहना ब्लाक के बंदीघाट गांव स्थित तमसा नदी पर एचएनबी इंटर कालेज द्वारा बनाए गए लकड़ी का चह पुल बाढ़ में पूरी तरह से ध्वस्त ही नहीं हो गया बल्कि उसका नामोनिशान मिट गया। इससे दर्जनों गांवों के छात्रों आम जनों का आवागमन बाधित हो गया है। छात्रों को अब मुहम्मदाबाद गोहना तहसील मुख्यालय 10 से 15 किलोमीटर की दूरी तय कर शिक्षा ग्रहण करने आना पड़ रहा है। इससे लोगों को भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 28 Jul 2019 10:42 PM (IST)Updated: Mon, 29 Jul 2019 06:25 AM (IST)
नदी के तेज बहाव में बह गए लोगों के अरमान
नदी के तेज बहाव में बह गए लोगों के अरमान

जागरण संवाददाता, वलीदपुर (मऊ) : मुहम्मदाबाद गोहना ब्लाक के बंदीघाट गांव स्थित तमसा नदी पर एचएनबी इंटर कालेज द्वारा बनाए गए लकड़ी का चह पुल बाढ़ में पूरी तरह से ध्वस्त ही नहीं हो गया बल्कि उसका नामोनिशान मिट गया। इससे दर्जनों गांवों के छात्रों, आम जनों का आवागमन बाधित हो गया है। छात्रों को अब मुहम्मदाबाद गोहना तहसील मुख्यालय 10 से 15 किलोमीटर की दूरी तय कर शिक्षा ग्रहण करने आना पड़ रहा है। इससे लोगों को भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।

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सरयां गांव स्थित विद्यालय के अध्यापक अमान अहमद, नदीम अहमद, हीरालाल, वीरेंद्र कुमार एवं क्षेत्रीय जनता बंदीघाट स्थित तमसा नदी पर पुल बनवाने के लिए दशकों से शासन-प्रशासन एवं जनप्रतिनिधियों से मांग कर रहे थे। हालांकि इसके पूर्ववर्ती सपा सरकार के तत्कालीन विधायक बैजनाथ पासवान द्वारा प्रस्ताव शासन को भेजा गया था और इसका तीन बार अधिकारियों द्वारा स्थलीय निरीक्षण भी किया गया था। जिसकी रिपोर्ट शासन को पुन: प्रेषित कर दी गई थी। बावजूद इसके पुल का निर्माण नहीं कराया गया। इधर क्षेत्र में लगभग एक दर्जन शिक्षण संस्थानों में हजारों की संख्या में शिक्षा ग्रहण करने आ रहे छात्रों को लंबी दूरी तय कर आने-जाने में भारी कठिनाई होती थी। एक दर्जन से अधिक गांव के ग्रामीण भी तहसील मुख्यालय पर आने के लिए काफी दूरी तय कर आ-जा रहे थे या फिर नदी में नाव का सहारा लेते थे। जब शासन-प्रशासन जनप्रतिनिधि के लोगों से आम जनता विद्यालय प्रबंधन गुहार लगाते-लगाते थक चुके तो नदी में निजी कोष से अस्थाई पुल बनाने का निर्णय लिया। नदी पर पुल निर्माण के लिए उक्त विद्यालय के प्रबंधन सबसे पहले आगे आए और लकड़ी पुल निर्माण कार्य शुरू हो गया। इस कार्य में गांव के प्रधानों के अलावा आम जनता का भी भरपूर सहयोग मिला। जिससे यह कुल दो से तीन माह के समय अंतराल में बनकर तैयार हो गया। पुल निर्माण कार्य में लगभग लाख रूपये खर्च हुए थे। इस पुल से बंदीघाट, फरीदपुर, डंगौली, कोईरियापार, देवलास, ढोलना, नसोपुर, भातकोल, इटौरा, हमीनपुर समेत दर्जनों गांवों के छात्र-छात्राएं साइकिल एवं पैदल शिक्षा ग्रहण करने के लिए संत गणिनाथ पीजी कालेज, टाउन इंटर कालेज, नेशनल इंटर कालेज, पब्लिक महिला शहर डिग्री कालेज समेत एक दर्जन से अधिक शिक्षण संस्थानों में शिक्षा ग्रहण करने के लिए आ रहे थे। इसके अलावा उपरोक्त गांव की आम जनता भी तहसील मुख्यालय पर अपनी निजी कार्यों से इसी पुल से होकर आवागमन जारी था। इसके बनने से क्षेत्र में काफी उत्साह एवं खुशी का माहौल था। लोगों को 10 से 15 किलोमीटर की दूरी कम तय करके आना पड़ता था परंतु इधर एक सप्ताह पूर्व हुई भीषण बारिश के कारण नदी में बनाया गया लकड़ी का चह पुल पूरी तरह से डूब गया। इससे छात्रों एवं आम जनों के चेहरों पर काफी मायूसी की लकीर दिखाई दे रही है।


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