चकबंदी में भारी अनियमितता पर उबाल, ग्रामीणों का प्रदर्शन
जगारण संवाददाता, चिरैयाकोट (मऊ) : क्षेत्र के सिरसा गांव में 1992 से शुरू हुई चकबंदी प्रकिया
जगारण संवाददाता, चिरैयाकोट (मऊ) : क्षेत्र के सिरसा गांव में 1992 से शुरू हुई चकबंदी प्रकिया का परिणाम गरीबों के लिए दुखदाई रहा। विभाग की मनमानी इस कदर रही कि बड़े काश्तकारों को खुला लाभ दिया गया जबकि गरीबों के हक मारे गए। सड़क किनारे पार्क के नाम आवंटित जमीन पर बड़े काश्तकारों के नाम आवंटित कर दी गई। इतना ही नहीं ज्यादा मालियत वाली जमीनों को कम मालियत दिखाकर बड़े काश्तकारों को लाभ पहुंचाने का खुल्लम-खुल्ला खेल विभाग द्वारा खेला गया। विभाग द्वारा बरती गई अनियमितता व धांधली को लेकर शुक्रवार को सैकड़ों की संख्या में महिलाएं व पुरुषों ने काली मां मंदिर के सामने प्रदर्शन किया। चेताया कि अगर विभाग द्वारा अनियमित कार्यप्रणाली को सुधारा नहीं गया तो ग्रामीण आजमगढ़-गाजीपुर राजमार्ग को जाम करेंगे।
सिरसा गांव में हुई चकबंदी में भारी अनियामितता बरती गई है। कुछ काश्तकारों का एक ही नंबर का चक चार जगह किए जाने से आक्रोशित किसानों ने सिरसा काली मां के मंदिर पर धरना प्रदर्शन किया। आरोप लगाया कि लेखपाल, कानूनगो व एसीओ ने चक गांव में न काटकर मऊ में बैठकर काटा है। धरना-प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे ओमकार ¨सह व रामजस ¨सह ने बताया कि चकबंदी अधिकारियों ने पहले तो चकबंदी करने में 24 साल गुजार दिए वह भी भारी अनियमितता के साथ। एक काश्तकार की पांच बीघा उपजाऊ जमीन जिसमें ट्यूबवेल आदि लगा है उसका चक काट कर ऊसर, बंजर वाली जमीन पर उड़ान चक बैठा दिया है। इसकी शिकायत राजस्व मंत्री, चकबंदी आयुक्त, कमिश्नर आजमगढ़ व जिलाधिकारी से भी की परंतु कोई कार्रवाई नहीं हुई। काश्तकारों ने चेतावनी दी के जब तक चकबंदी का मूल्यांकन एसीओ स्तर पर नहीं किया जाता, तब तक काश्तकार कब्जा परिवर्तन नहीं होने देंगे। इस अवसर पर पारसनाथ शुक्ल, काशीनाथ तिवारी, रामप्यारे ¨सह, कन्हैया प्रसाद, नन्हे ठाकुर, उíमला देवी, रामधारी राम, सरस्वती देवी, चंपा देवी, रमेशचंद्र व दुर्गावती आदि मौजूद थीं।