हाईकोर्ट में ओवरब्रिज निर्माण पर बहस आज
जून 201 इइ इइ इ इ इ इ इ इ इ इ इ इ
जागरण संवाददाता, मऊ : शहर के तीन लाख लोगों की रोज-रोज की घुटन का सबब बन चुके बालनिकेतन स्थित रेलवे क्रासिग संख्या जीरो-बी पर ओवरब्रिज या अंडरपास का मामला जिले की कमजोर हो चुकी सियासत के चलते हल होता नजर नहीं आ रहा है। हाईकोर्ट के निर्देश पर जिला प्रशासन और रेलवे जब वर्षों बाद ओवरब्रिज बनाने के लिए युद्ध स्तर पर तैयार हुआ तो एक बार फिर से सियासी कमजोरी आड़े आ गई और राज्य सरकार से मंजूरी के लिए भेजी गई फाइल लटक गई। राष्ट्रीय लोकदल के नेता देवप्रकाश राय द्वारा जीरो-बी ओवरब्रिज की जरूरत और मांग को लेकर दायर जनहित याचिका पर एक बार फिर तीन मई को सुनवाई होने जा रही है। उम्मीद जताई जा रही है कि सभी पक्षों को सुनने के बाद हाईकोर्ट कोई निर्णय सुना सकता है।
बता दें कि राष्ट्रीय लोकदल के नेता देवप्रकाश राय ने ओवरब्रिज निर्माण न होने पर जब हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया तो कोर्ट के आदेश पर बीते 26 जून 2018 को जिला प्रशासन व रेलवे प्रशासन की संयुक्त बैठक हुई। बैठक के बाद ओबी निर्माण की संभावनाओं को टटोलते हुए ओवरब्रिज निर्माण मार्ग की पक्की पैमाइश हुई और जिला प्रशासन की ओर से 296 अतिक्रमण चिह्नित किए गए। इसके बाद कोर्ट में हलफनामा देकर जिला प्रशासन ने ओवरब्रिज निर्माण कराने की बात कही। इसके साथ ही बीते 21 जुलाई 2018 को जिला प्रशासन की ओर से ओबी की प्राथमिक लागत लगभग 95 करोड़ रुपये आने का स्टीमेट बनाकर उसकी मंजूरी के लिए फाइल प्रमुख सचिव लोक निर्माण को भेज दिया। उधर, जब देवप्रकाश राय ने आरटीआइ लगाकर फाइल के संबंध में जानकारी किया तो पता चला कि शासन से अब तक मंजूरी ही नहीं दी गई है। हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की अदालत में शुक्रवार को 12वें नंबर पर ओवरब्रिज मामले की सुनवाई होनी है। हाईकोर्ट के निर्णय का जिले की लाखों जनता को बेसब्री से इंतजार है।