तो क्या ठंडे बस्ते में चला गया सेना भर्ती फर्जीवाड़ा
नगर में पुलिस की नाक के नीचे सेना में भर्ती कराने वाले गिरोह का पर्दाफाश भले हो गया है पर बीस दिन बाद भी समूचे खेल के मास्टर माइंड ऋषि गुप्ता की गिरफ्तारी न होने से पुलिस की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं।
जागरण संवाददाता, घोसी (मऊ) : नगर में पुलिस की नाक के नीचे सेना में भर्ती कराने वाले गिरोह का पर्दाफाश भले हो गया है पर बीस दिन बाद भी समूचे खेल के मास्टर माइंड ऋषि गुप्ता की गिरफ्तारी न होने से पुलिस की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं। सवाल उठ रहा है कि कहीं पुलिस इस प्रकरण को ठंडे बस्ते में तो नहीं डाल रही है। हालांकि प्रारंभ में इस मामले और गिरोह से जुड़े लोगों तक पहुंचने को जनपद की स्वाट टीम से लेकर कोतवाली पुलिस ने सेना के ब्रांच रिक्रू¨टग आफिस वाराणसी तक भाग दौड़ किया।
31 अगस्त की देर शाम को नगर के डा. प्रभुनाथ रोड पर रह रहे क्षेत्र के नदवल निवासी ज्ञानचंद गुप्त को गिरफ्तार कर सेना में भर्ती कराने के चल रहे बड़े कारनामे का पर्दाफाश किया। पर्दाफाश करने वाली टीम में शामिल कोतवाली के उपनिरीक्षक स¨वद्र राय, स्वाट टीम द्वितीय के उपनिरीक्षक अमित कुमार मिश्र एवं एचसीपी सेनापति ¨सह आदि ने अगले दिन से तह तक जाने के लिए मशक्कत प्रारंभ कर दिया। इसकी तह तक पहुंचने के लिए सेना में नौकरी कर चुके फरार ऋषि गुप्ता की गिरफ्तारी न होने से पुलिस जांच की हर राह बंद हो गई है। दरअसल सेना से अज्ञात कारण से घर वापस आने के कुछ दिनों बाद ऋषि ने ही सेना में भर्ती कराने का कारोबार प्रारंभ किया। अधिक पैसे अर्जित करने हेतु वह फर्जी प्रमाणपत्र भी तैयार करने लगा। सेना में बतौर लिपिक नौकरी करने के चलते उसे भर्ती में विशेष छूट प्राप्त करने हेतु आवश्यक प्रमाणपत्रों की भी जानकारी रही। वह एनसीसी के सी प्रमाणपत्र से लेकर नेशनल गेम्स में विजेता होने तक का प्रमाणपत्र तैयार करने लगा। छापामारी के दौरान उसके आवास से ऐसे तमाम प्रमाणपत्र मिले। बहरहाल सेना में पैसे के बल पर भर्ती कराने में उसके और कौन सहयोगी रहे और क्या सेना के कुछ लोगों का भी वरदहस्त प्राप्त रहा, अब तक फर्जी प्रमाणपत्र के आधार पर कितने युवाओं को सेना में भेज चुका है, जैसे सवालों के जवाब उसकी गिरफ्तारी के बाद ही मिलेंगे। इसके बावजूद इन दिनों पुलिस की शिथिलता को लेकर तमाम सवाल उठ रहे हैं।