गुरु-शिष्य सिर्फ परंपरा नहीं, भारत की शान
जागरण संवाददाता, मऊ : भारत विकास परिषद द्वारा आयोजित 'गुरु वंदन-छात्र अभिनंदन' समारोह में गु
जागरण संवाददाता, मऊ : भारत विकास परिषद द्वारा आयोजित 'गुरु वंदन-छात्र अभिनंदन' समारोह में गुरुवार को 50 विद्यालयों के शिक्षकों व मेधावी छात्रों को उनकी अलग-अलग उपलब्धियों के लिए सम्मानित किया गया। सभी को परिषद में गुरु-शिष्य परंपरा को स्थापित करते हुए वैदिक मंत्रोच्चार के बीच अतिथियों ने अंगवस्त्रम, पुस्तकें व पौधे भेंटकर सम्मानित किया गया। बतौर मुख्य अतिथि भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता शलभमणि त्रिपाठी ने कहा कि गुरु-शिष्य परंपरा सिर्फ हमारी पुरानी संस्कृति ही नहीं बल्कि भारत की शान है। गुरु-शिष्य के बीच के रिश्ते का सम्मान और समर्पण दुनियां की किसी संस्कृति में इतना जीवंत नहीं है।
श्री त्रिपाठी ने भाविप की इस पहल को अनूठी बताते हुए कहा कि गुरु-शिष्य के सम्मान से पंरपरा और मजबूत होगी। विशिष्ट अतिथि जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी ओपी त्रिपाठी ने कहा कि सेवा और समर्पण भारतीय संस्कृति के मूल मंत्र हैं। परिषद के प्रांतीय अध्यक्ष सुदीप टंडन ने कहा कि आजादी के बाद चीन से हुई लड़ाई के बाद भाविप संगठन का जन्म हुआ। तब से यह संगठन अपने सभ्यता-संस्कृति व परंपराओं को ¨जदा रखने के लिए लगातार प्रयासरत है। परिषद की अध्यक्षा डा.अलका राय ने कहा कि हम ऐसे अनेक कार्य करके समाज के बीच में अपनी परंपराओं को ¨जदा रखने का प्रयास कर रहे हैं। कार्यक्रम की अध्यक्षता राम प्रताप ¨सह व संचालन रवीश तिवारी तथा अभिषेक बरनवाल ने किया। इस दौरान जमुना शुक्ला, रत्ना बागची, कविता शाह, सचिव प्रकाश जैन, डा.एसएन राय, पुष्पा जायसवाल, मधु राय, रितु अग्रवाल, अनुराग बरनवाल, सुमन पांडे, रश्मि बरनवाल, दीपक जैन आदि मौजूद थे।