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बालनिकेतन पर ओवरब्रिज के लिए शासनादेश जारी

पूर्वोत्तर रेलवे के जीएम को प्रमुख सचिव उत्तर प्रदेश शासन ने जारी किया सहमति पत्र - शहर को दशकों पुराने दर्द से निजात मिलने की हर बाधा समाप्त - हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर होने के बाद पाइपलाइन में थी योजना

By JagranEdited By: Published: Wed, 08 Apr 2020 07:59 PM (IST)Updated: Thu, 09 Apr 2020 06:07 AM (IST)
बालनिकेतन पर ओवरब्रिज के लिए शासनादेश जारी
बालनिकेतन पर ओवरब्रिज के लिए शासनादेश जारी

जागरण संवाददाता, मऊ : प्रदेश की योगी सरकार ने लॉकडाउन के इस आपदा काल में जनपदवासियों को अब तक की सबसे बड़ी सौगात भेंट कर दी है। शहर को दो हिस्सों में बांटने वाले बाल निकेतन रेलवे फाटक पर ओवरब्रिज की दशकों से चली आ रही जनता जनार्दन की मांग आखिरकार पूरी होने का रास्ता साफ हो गया। बुधवार को प्रदेश शासन ने इसके लिए शासनादेश जारी कर दिया। प्रमुख सचिव उत्तर प्रदेश शासन नितिन रमेश गोकर्ण ने पूर्वोत्तर रेलवे के जीएम को सहमति पत्र भेजकर इस समस्या के समाधान का मार्ग प्रशस्त कर दिया। ओवरब्रिज के निर्माण में 7595.13 लाख रुपये की लागत का अनुमान लगाया गया है। इसमें राज्य सरकार व रेलवे प्रशासन दोनों की सहभागिता होगी।

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मऊ जंक्शन रेलवे स्टेशन के उत्तरी छोर पर स्थित रेलवे क्रासिग संख्या जीरो-बी यानि बाल निकेतन रेलवे फाटक शहर को दो हिस्सों में बांटता है। 26 घंटे में 46 बार बंद होने वाला यह फाटक जनपद के विकास में सबसे बढ़ा कोढ़ बना हुआ है। फाटक पर पूरे दिन लगने वाले जाम के चलते कई बीमारों की मौत हो चुकी है।

पूर्व केंद्रीय मंत्री स्व.कल्पनाथ राय के समय से ही ओवरब्रिज बनाए जाने की मांग लगातार चल रही थी। तीन दशक से कई सरकारें आईं और गईं, लेकिन शहर की इस सबसे बड़ी समस्या को खत्म करने में किसी ने दिलचस्पी नहीं लिया। रेलवे प्रशासन बार-बार अपनी सहमति जताता रहा मगर राज्य सरकारों ने चूं नहीं कसी। यह देखते हुए वर्ष 2018 में राष्ट्रीय लोकदल के नेता एवं सहरोज निवासी देवप्रकाश राय ने ओवरब्रिज निर्माण की मांग लेकर हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की। हाईकोर्ट के निर्देश पर जून 2018 में रेलवे, जिला प्रशासन और उत्तर प्रदेश सेतु निगम के शीर्ष अधिकारियों की बैठक में ओवरब्रिज निर्माण को लेकर बैठक हुई। 290 अतिक्रमण चिह्नित कर ओवरब्रिज निर्माण का प्रस्ताव शासन को भेजा गया। फिर मामला शासन में लटक गया। 19 जुलाई 2019 को जिलाधिकारी ज्ञानप्रकाश त्रिपाठी ने यही प्रस्ताव एक बार फिर से सहमति के लिए शासन को भेजा। इस प्रस्ताव को प्रदेश सरकार ने न सिर्फ अपनी मंजूरी दे दी है, बल्कि निर्माण की हर शर्त को पूरा करने का सहमति पत्र भी पूर्वोत्तर रेलवे के महाप्रबंधक को भेज दिया है। किसान नेता देवप्रकाश राय ने इसे जनभावनाओं की जीत बताया। उन्होंने प्रदेश सरकार और जिला प्रशासन को धन्यवाद दिया।


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