घाघरा खतरे का निशान पार, तबाही को तैयार
सूर्यकांत त्रिपाठी फोटो घाघरा खतरे का निशान पार तबाही को तैयार
जागरण संवाददाता, दोहरीघाट (मऊ) : लगातार बारिश के बाद जिले की उत्तरी सीमा पर बहने वाली घाघरा नदी ने एक बार फिर से अपना रौद्र रूप दिखलाना शुरू कर दिया है। लगातार 6वीं बार नदी के जलस्तर में जबर्दस्त उफान देखा जा रहा है। घाघरा का पानी नदी के तटवर्ती इलाकों में फैलने को आतुर है। रामनगर में घाघरा का जलस्तर 65 सेंटीमीटर पर पहुंच चुका है, जो खतरे के निशान से 25 सेंटीमीटर ऊपर है। कई ऐतिहासिक स्थलों के अस्तित्व पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। लहरों की लगातार टक्कर मुक्तिधाम श्मशान का अस्तित्व मिटाने पर तुली है। आस-पास के ताल-पोखरों में नदी का पानी धीरे-धीरे सरकने लगा है, जिससे तटवर्ती गांवों में दहशत बढ़ने लगी है।
घाघरा के जलस्तर में इस वर्ष कई बार उठापटक होने से कटान की आक्रामकता बढ़ गई है। नौली के समीप घाघरा की तेज धार के आगे सिचाई विभाग के ठोकर बनाने के कार्य को जबर्दस्त चुनौती मिलने लगी है। सिचाई विभाग के बनाए गए ठोकर पर भी लहरों का जबर्दस्त दबाव है। इधर, मुक्तिधाम श्मसान घाट के दक्षिण भारत माता मंदिर पर लहरों की टक्कर बढ़ गई है। इससे भारत माता मंदिर, खाकी बाबा की कुटी, जानकी घाट दिव्य स्थान आदि ऐतिहासिक महत्व के स्थलों के अस्तित्व पर खतरा बढ़ता चला जा रहा है। रसूलपुर आश्रम गांव में घाघरा के तटवर्ती खेतों के कटान से नदी की धारा में विलीन होने का सिलसिला जारी है। कटान की रफ्तार रसूलपुर आश्रम गांव का नामोनिशान मिटाने पर आमादा है। सिचाई विभाग द्वारा मानक के अनुरूप कटानरोधी उपाय न किए जाने को लेकर तटवर्ती ग्रामीणों में आक्रोश है। जिन किसानों की जमीन कटकर नदी की धारा में विलीन हो रही है, उनका कलेजा कांप जा रहा है। कटान के खौफनाक मंजर को देख तटवर्ती ग्रामीणों और किसानों की आंखें फटी रह जा रही है। इनसेट--
50 मीटर लंबा बोल्डर नदी में विलीन, हड़कंप
मुक्तिधाम को बचाने की जुगत में लगे सिचाई विभाग ने श्मसान घाट पर बढ़ते खतरे के मद्देनजर मंगलवार की दोपहर जब 50 मीटर लंबा और तीन मीटर चौड़ा बोल्डर फंसाना चाहा तो वह नंदी में नीचे समाता चला गया और नदी की धारा में विलीन हो गया। यह देख मौके पर कार्य कर रहे कर्मचारियों व मजदूरों में हड़कंप मच गया। सूचना पाकर मौके पर जेई जेपी यादव व अधिशासी अभियंता वीरेंद्र पासवान भी पहुंच गए। पत्थरों के नदी की धारा में विलीन हो जाने से कटान से राहत एवं बचाव कार्य को लेकर विभागीय कर्मचारियों में मायूसी दिखी। अधिशासी अभियंता ने कहा कि मुक्तिधाम को नदी की धारा में विलीन होने से बचाने का पूरा प्रयास किया जा रहा है। तीन मीटर तक पत्थरों की लांचिग करने में विभाग को सफलता मिली है।