Move to Jagran APP

खतरा निशान से एक मीटर ऊपर बह रही घाघरा

जागरण संवाददाता दोहरीघाट (मऊ) कस्बे से होकर बहने वाली घाघरा नदी का जलस्तर तीव्र ग

By JagranEdited By: Published: Sat, 01 Aug 2020 10:19 PM (IST)Updated: Sun, 02 Aug 2020 06:10 AM (IST)
खतरा निशान से एक मीटर ऊपर बह रही घाघरा
खतरा निशान से एक मीटर ऊपर बह रही घाघरा

जागरण संवाददाता, दोहरीघाट (मऊ) : कस्बे से होकर बहने वाली घाघरा नदी का जलस्तर तीव्र गति से बढ़ता जा रहा है। शनिवार को घाघरा का जलस्तर खतरा बिदु से एक मीटर ऊपर पहुंच गया। इसकी वजह से मुक्तिधाम पर जहां काफी दबाव बन रहा है वहीं तटवर्ती इलाकों में घाघरा अब तबाही मचा रही है। इसकी वजह से लोगों की दुश्वारियां बढ़ रही हैं। पशुओं के चारे की समस्या आ गई है। घाघरा का जलस्तर अगर इसी तरह से बढ़ता रहा तो वह 1998 का रिकार्ड तोड़ सकती है। बाढ़ खंड के अनुसार औराडांड़ में घाघरा का जलस्तर शनिवार को सुबह आठ बजे 71.30 मीटर, बारह बजे 71.37 मीटर, शाम चार बजे 71.45 सेंटीमीटर पर दर्ज किया गया। घाघरा तटवर्ती इलाकों में दबाव बना रही है खतरा बिदु 70.40 मीटर है।

loksabha election banner

मुधबन प्रतिनिधि के अनुसार स्थानीय तहसील क्षेत्र के चक्कीमुसाडोही के साथ ही देवारा में घाघरा के जलस्तर में तीसरी बार तेजी के साथ बढ़ोत्तरी होना शुरू हो गई है। इससे चक्कीमुसाडोही चारों तरफ बाढ़ से घिर गया है। देवारा के दर्जनों गांव बाढ़ की चपेट में आ गया है। लोग बाहर निकलने के लिए प्रशासन द्वारा उपलब्ध कराए गए नाव का सहारा ले रहे हैं। क्षेत्र के हाहानाला पर शुक्रवार को घाघरा का जलस्तर 65.40 मीटर पर था, लेकिन 24 घंटे में 40 सेमी बढ़ोत्तरी के साथ जलस्तर 65.80 मीटर पर पहुंच गया है। यह खतरा के निशान 66.31 मीटर से 51 सेमी नीचे है। जलस्तर के बढ़ने का क्रम लगातार बना हुआ है। इससे चक्कीमुसाडोही चारों तरफ से बाढ़ से घिर गया है। मुख्य मार्ग पर पानी आने और जगह-जगह से क्षतिग्रस्त होने के चलते ग्रामीणों का आवागमन पूरी तरह बाधित हो गया है। इसी प्रकार देवारा का सुग्गीचौरी से हाता होते हुए नकिहहवा मार्ग पर तीन से चार फीट पानी आ गया है तथा दुबारी से विदटोलिया मार्ग को भी बाढ़ का पानी अपने आगोश में लेने को आतुर है। मुख्य मार्ग से गांवों और पुरवों को जोड़ने वाला कोई संपर्क मार्ग ऐसा नहीं है जो बाढ़ की चपेट में न आ गया हो। इससे ग्रामीणों का घर से बाहर निकलना मुश्किल हो गया हैं। फसलों की बर्बादी के साथ ही उनको सबसे अधिक चिता पशुओं की सता रही है। खेत बाढ़ की चपेट में आने से पशुओं के लिए हरा चारा नही मिल पा रहा है और रिहायशी मंडई में पानी आ जाने से भूसा के किल्लत का सामना अलग से करना पड़ रहा है। इससे परेशान पशुपालक अपने पशुओं को लेकर देवारा से पलायन करना शुरू कर दिए है। ग्रामीणों का मानना है कि घाघरा का तेवर देखकर आने वाले समय में भयंकर बाढ़ की आशंका से इंकार नही किया जा सकता है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.