1929 में गांधी ने दोहरीघाट में जगाई थी अलख
'साइमन गो बैक'। यह स्वर तत्कालीन आजमगढ़ जनपद के वर्तमान मऊ जिले में इस कदर बुलंद हुआ कि आवाज साइमन के कानों तक पहुंची।
जागरण संवाददाता, घोसी (मऊ) : 'साइमन गो बैक'। यह स्वर तत्कालीन आजमगढ़ जनपद के वर्तमान मऊ जिले में इस कदर बुलंद हुआ कि आवाज साइमन के कानों तक पहुंची। धरना प्रदर्शन एवं काले झंडों ने महात्मा गांधी को इस कदर अभिभूत कर दिया कि 03 अक्टूबर 1929 को वह दोहरीघाट में रुकने से स्वयं को रोक न सके। यहां उन्होंने राष्ट्र प्रेम एवं स्वाभिमान की ऐसी अलख जगाया कि यहां क्रांति की ज्वाला 1942 तक धधकती रही।
नगर निवासी एवं स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पूर्व मंत्री पं. रामविलास पांडेय के पुत्र पूर्व प्रधानाचार्य उमेश चंद पांडेय अपने पिता से राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के दोहरीघाट आगमन की विस्तृत चर्चा सुने थे। उस बात को'जागरण'से साझा करते हुए बताते हैं कि 03 अक्टूबर 1929 को राष्ट्रपिता बापू आजमगढ़ में एक कार्यक्रम में भाग लेने के बाद गोरखपुर जा रहे थे। दोहरीघाट में लोगों का ऐसा हुजूम जुटा था कि जयकारों एवं जनभावनाओं के वशीभूत बापू रुक गए और भीड़ को संबोधित करने से स्वयं को न रोक सके। यहां उन्होंने नमक कानून, विलायती वस्त्रों के बहिष्कार एवं स्वाधीनता के लिए सत्याग्रह की राह पर चलने का तार्किक संदेश दिया। महात्मा गांधी की वाणी से मंत्रमुग्ध हर जनपदवासी ने हर हाल में स्वाधीनता प्राप्त करने हेतु सिर पर कफन बांधने का संकल्प लिया। श्री पांडेय बताते हैं कि उन दिनों पिता जी की उम्र महज 12 वर्ष थी। फिर भी महात्मा के भाषण के शब्द आजीवन याद रहे। बकौल श्री पांडेय गांधी जी का वक्तव्य जनपद की क्रांति में एक नया मोड़ ला दिया। जनपद की माटी महज शस्य श्यामला ही नहीं है, यहां महिलाओं ने अपनी संतान को ऐसा संस्कार दिया था कि महात्मा गांधी के शब्दों ने इन देशभक्तों में एक ऊर्जा का संचार कर दिया। फिर तो इनकी गौरव गाथा इतिहास के पन्नों का स्वर्णिम अध्याय बन गई। हरिजन उत्थान एवं अछूतोद्धार समिति के तहत तमाम कार्य हुए। पर सर्वाधिक प्रभाव यह कि 'नमक सत्याग्रह 1930' एवं इसके बाद ब्रिटिश वस्त्रों की होली जलाने में इस क्षेत्र के लोगों ने बढ़ चढ़कर भाग लिया। 04 जनवरी 1932 को महात्मा एवं सरदार वल्लभ भाई पटेल की गिरफ्तारी के बाद तो यहां भूचाल आ गया। बताते हैं 1942 की अगस्त क्रांति का बीजारोपण गांधी जी ने 3 अक्टूबर 1929 को ही कर दिया था।