कोहरे व बेमौसम बारिश से आलू पर झुलसा रोग का अंदेशा
आजमगढ़ वर्तमान समय में आसमान कोहरे की चादर से ढक जा रहा है। बूंदाबांदी के साथ रिमझिम बारिश भी हो रही है। इसकी वजह से मौसम पूरी तरह से नम हो गया है। प्कड़ाके की ठंड से जनजीवन अस्त-व्यस्त है। ऐसे में पिछेती आलू की फसलों पर झुलसा रोग की संभावनाएं बढ़ गई है। खासकर पिछेती आलू की फसल करने वाले किसान पूरी तरह से अलर्ट हो जाएं नहीं तो उनकी आलू की फसल बर्बाद हो जाएगी।
जागरण संवाददाता, मऊ : वर्तमान समय में आसमान कोहरे की चादर से ढक जा रहा है। बूंदाबांदी के साथ रिमझिम बारिश भी हो रही है। इसकी वजह से मौसम पूरी तरह से नम हो गया है। कड़ाके की ठंड से जनजीवन अस्त-व्यस्त है। ऐसे में पिछेती आलू की फसलों पर झुलसा रोग की आशंका बढ़ गई हैं। खासकर पिछेती आलू की फसल करने वाले किसान पूरी तरह से अलर्ट हो जाएं नहीं तो उनकी आलू की फसल बर्बाद हो जाएगी। जनपद में आलू की अच्छे उत्पादन के लिए उचित समय पर नियंत्रण जरूरी है। आलू अगेती व पिछेती झुलसा रोग के प्रति अत्यंत संवेदनशील होता है।
प्रतिकूल मौसम विशेषकर बदलीयुक्त बूंदा-बादी एवं नम वातावरण में झुलसा फैलता है तथा फसल को भारी क्षति पहुंचती है। ऐसी परिस्थितियों को देखते हुए शासन पूरी तरह से किसानों को अलर्ट रहने की सलाह दी है। विभाग की मानें तो पाले की मार से आलू के पौधे की पत्तियां झुलसना प्रारंभ होती हैं, बीमारी तीव्र गति से फैलती है। पत्तियों पर भूरे काले रंग के जलीय धब्बे बनते हैं तथा पत्तियों के निचली सतह पर रूई की तरह फफूंद दिखाई देती है। बदलीयुक्त वातावरण एवं 10-20 डिग्री सेंटीग्रेड तापक्रम पर इस रोग का प्रकोप बहुत तेजी से होता है। दो से चार दिनों के अंदर ही संपूर्ण फसल नष्ट हो जाती है। अगेती झुलसा में पत्तियों के बीच से झुलसना प्रारंभ होती है।
इस तरह करें छिड़काव
आलू की फसल को अगेती व पिछेती झुलसा रोग से बचाने के लिए जिक मैगनीज कार्बाेमेट 2.0 से 2.5 किग्रा0 को 800-1000 लीटर पानी में अथवा मैकोजेब 2 से 2.5 किग्रा0 800-1000 लयर की दर से छिड़काव किया जाए। आवश्यकतानुसार 10 से 15 दिन के अंतराल पर दूसरा छिड़काव कापर आक्सीक्लोराइड 2.5 से 3.0 किग्रा अथवा जिक मैगनीज कार्बामेट 2.0 से 2.5 किथिति में नियंत्रण को लिए दूसरे छिड़काव में फफूंदीनाशक के साथ कीट नाशक डायमेथोएट 1.0 लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से मिलाकर छिड़काव करना चाहिए। जिन खेतों में अगेती व पिछेती में रोकथाम के लिए अन्त:ग्राही (सिस्टेमिक) फफूंदनाशक मेटालेक्जिल युक्त रसायन 2.5 किग्रा अथवा साईमोक्जेनिल युक्त फफूंदनाशक 3.0 किग्रा प्रति हेक्टेयर की दर से 800-1000 लीटर पानी मे घोल बनाकर छिड़काव करें।
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वर्तमान समय में रिमझिम बारिश भी हो रही है। ठंड भी बढ़ती जा रही है। आलू की पिछेती फसल पर पाला मारने की जहां आशंका है वहीं झुलसा रोग भी प्रभावित करेगा। दलहनी व तिलहनी की फसलों को भी नुकसान है।
सुभाष कुमार, जिला उद्यान अधिकारी, मऊ।