किसानों को 100 क्विटल मिलेगा आलू का बीज
जागरण संवाददाता मऊ तमसा की बाढ़ की वजह से निचले इलाकों में अभी पानी लगा है। फिर भी कि
जागरण संवाददाता, मऊ : तमसा की बाढ़ की वजह से निचले इलाकों में अभी पानी लगा है। फिर भी किसानों ने आलू बोने के लिए खेतों की तैयारी करना शुरू कर दिया है। ऐसे में उद्यान विभाग की तरफ से जनपद में 100 क्विटल नई किस्म का आलू का बीज उपलब्ध कराया गया है। इसका वितरण अक्टूबर माह के अंतिम सप्ताह में किया जाएगा। रियायत दर पर किसानों को 2080 रुपये प्रति क्विटल की दर से प्रदान किया जाएगा।
विभाग की तरफ से जो आलू के बीज मंगाए गए हैं उसमें कुफरी चिप्सोना-1 आधारीय प्रथम 60 क्विटल व द्वितीय 40 क्विटल शामिल हैं। आलू की यह प्रजाति काफी बेहतर है। इसकी पैदावार काफी अधिक होती है। वरिष्ठ उद्यान निरीक्षक हरिश्चंद्र यादव की मानें तो सब्जियों के राजा आलू के मामले में तरह-तरह की भ्रांतियां हैं। शुगर के मरीजों के लिए आलू खाना जहर के समान माना जाता है। चिकित्सक भी मरीज को आलू से दूर रहने की सलाह देते हैं तो वजन बढ़ाने में आलू मुख्य आहार माना जाता है। विशेषज्ञों की राय में जमीन से निकला आलू शुगर फ्री ही होता है, लेकिन कुछ ही समय बाद इसमें कार्बोहाइड्रेट से स्टार्च में बदलने की प्रक्रिया तेज हो जाती है। परिणामस्वरूप आलू शुगर युक्त हो जाता है। विशेषज्ञों की मानें तो आलू में शुगर की मात्रा करीब 50-50 प्रतिशत होती है। ऐसे में आलू में चिप्सोना वैरायटी को सबसे कम शुगर वाला आलू माना जाता है। चिप्सोना-1, चिप्सोना-3, चिप्सोना-4 एवं फ्राई सोना आलू की उन्नत नस्लें हैं। प्रोसेस वैरायटी माने जाने वाले इस आलू में सीआइपीसी दवा का छिड़काव रामबाण साबित होता है। इस दवा के छिड़काव के कारण आलू में कार्बोहाइड्रेट से स्टार्च में तब्दील होने की प्रक्रिया लगभग रुक जाती है। इस वजह से इस आलू को शुगर फ्री आलू की श्रेणी में रखा जाता है।
विभाग की तरफ से आलू उद्यान विभाग की नर्सरी से वितरित किया जाएगा। इसके लिए किसानों को पहले आओ-पहले पाओ आधार पर चयन किया जाएगा। निर्धारित स्टाक ही उपलब्ध है इसलिए किसान समय से आलू का बीज ले सकते हैं।
-सुभाष कुमार, जिला उद्यान अधिकारी।