2010 के बाद नियुक्त शिक्षकों के प्रमाण पत्रों की होगी जांच
जागरण संवाददाता, मऊ : फर्जी एवं कूटरचित दस्तावेजों के आधार पर शिक्षक की नौकरी पाने वाल
जागरण संवाददाता, मऊ : फर्जी एवं कूटरचित दस्तावेजों के आधार पर शिक्षक की नौकरी पाने वालों की अब खैर नहीं है। उत्तर प्रदेश शासन की ओर से जिले में 2010 के बाद नियुक्ति पाए सभी शिक्षकों के प्रमाण पत्रों का सत्यापन किया जाएगा। बेसिक शिक्षा अनुभाग से इसके लिए जिलाधिकारी को निर्देश भी दे दिया गया है। प्रमाण पत्रों की जांच शासन द्वारा गठित तीन सदस्यों की कमेटी करेगी। यही नहीं आम जन भी कलेक्ट्रेट में किसी शिक्षक के प्रमाण पत्रों को संदिग्ध या फिर फर्जी होने की सूचना दे सकते हैं।
नियुक्तियों में फर्जी व कूटरचित दस्तावेजों के इस्तेमाल पर उत्तर प्रदेश सरकार ने सख्त रुख अख्तियार कर लिया है। शासन से वर्ष 2010 के बाद नियुक्त हुए सभी शिक्षकों के प्रमाण-पत्रों की तीन सदस्यीय कमेटी से जांच कराने का निर्णय लिया गया है। जिलाधिकारी प्रकाश¨बदु ने बताया कि शासन द्वारा गठित तीन सदस्यीय समिति ही प्रमाण पत्रों की जांच करेगी। उन्होंने कहा है कि यदि किसी व्यक्ति को किसी शिक्षक की डिग्री फर्जी होने की सूचना है तो उसे कलेक्ट्रेट में 10 रुपये के फोटोयुक्त नोटरी पत्र पर अपना पूर्ण पता व मोबाइल नंबर लिखते आपत्ति पत्र प्रस्तुत किया जा सकता है। जिलाधिकारी ने कहा है कि 15 दिन के भीतर की गई आपत्तियों का निस्तारण तत्काल प्रभाव से किया जाएगा। इसमें वेटेज के लिए लगाए गए फर्जी प्रमाण-पत्र भी शामिल किए जाएंगे।