अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में बढ़ी अभिभावकों को दिलचस्पी
प्राथमिक स्कूलों में बदलाव की मुहिम रंग लाने लगी है। शासन के कुछ ठोस कदम और शिक्षकों के सकारात्मक सहयोग से जिले की प्राथमिक शिक्षा व्यवस्था प्रदेश की सुर्खियों में है।
जागरण संवाददाता, मऊ : प्राथमिक स्कूलों में बदलाव की मुहिम रंग लाने लगी है। शासन के कुछ ठोस कदम और शिक्षकों के सकारात्मक सहयोग से जिले की प्राथमिक शिक्षा व्यवस्था प्रदेश की सुर्खियों में है। शैक्षिक गुणवत्ता के मामले में मऊ जिला अब प्रदेश में सातवें स्थान पर है। इधर, कान्वेंट स्कूलों के रोज-रोज के ड्रामे से तंग अभिभावक अपने बच्चों को अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में भेजने की पूरी तैयारी कर लिए हैं। जिले में हाल ही में घोषित 114 प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक स्कूलों में प्रवेश की होड़ शुरू हो गई है।
कुछ ही पब्लिक व कान्वेंट स्कूल हैं जहां मानक के अनुरूप शिक्षक हैं। शेष स्कूलों में मानक के विपरीत कम पढ़े-लिखे, जिन्हें दस वाक्य भी अंग्रेजी में शुद्ध-शुद्ध लिखना पढ़ना नहीं आता, उन्हीं शिक्षकों, लाचार महिलाओं और अप्रशिक्षितों के भरोसे कान्वेंट स्कूल अंग्रेजी पढ़ाने-रटाने का दावा करते फिर रहे हैं। आलम यह है कि छात्रों को अनेक शिक्षिकाएं परीक्षा में खुद ही उसकी कापी लिखकर 70 और 80 प्रतिशत नंबर दे देती हैं, ताकि अभिभावक अंग्रेजी के भ्रम में रहे और खुश होता रहे। कोपागंज के एक अभिभावक मनीष कुमार राय ने बताया कि उनके आस-पास के कई सरकारी प्राइमरी विद्यालय अब अंग्रेजी माध्यम हो गए हैं। अब वे स्वयं अपने बच्चों को इसमें प्रवेश दिलाने जा रहे हैं। किताब, टाई, जूता, मोजा और तरह-तरह के ड्रामे का जो पैसा बचेगा, उससे बच्चों को अच्छा ट्यूशन करांएगे। बेसिक शिक्षा अधिकारी ओपी त्रिपाठी की ओर से चलाए गए मिशन पहचान ने भी अभिभावकों का ध्यान अंग्रेजी माध्यम स्कूलों की तरफ तेजी से खींचा है। रकौली प्राथमिक स्कूल को शासन तो अंग्रेजी माध्यम स्कूल नहीं घोषित किया गया, लेकिन प्रधानाध्यापक सतीश कुमार सिंह ने अपने स्वयं के प्रयासों से उसमें अंग्रेजी माध्यम में पढ़ाई कराकर मिशाल पेश किया है। बच्चे और शिक्षक जिस ढंग से वहां मेहनत कर रहे हैं, उसे देखकर अच्छे-अच्छे कान्वेंट स्कूलों की नींद उड़ी हुई है। वर्जन ..
'अंग्रेजी माध्यम प्राइमरी की निगरानी सीधे मुख्यालय से की जा रही है। शिक्षक प्रशिक्षित और योग्य हैं तथा बेहतर परिणाम दे रहे हैं। सभी अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में तेजी से प्रवेश बढ़ रहा है।'
- ओपी त्रिपाठी, बेसिक शिक्षा अधिकारी, मऊ।