ठंड बनी काल, मौतों में वृद्धि
भी ठंडक का प्रभाव प्रारंभ ही हुआ है पर तापमान में अचानक परिवर्तन के चलते असमय मौतों में अचानक वृद्धि हो गई है। दोहरीघाट स्थित मुक्तिधाम पर हाल यह कि शव जलाने के लिए इंतजार करना पड़ रहा है।
जागरण संवाददाता, घोसी (मऊ) : अभी ठंडक का प्रभाव प्रारंभ ही हुआ है पर तापमान में अचानक परिवर्तन के चलते असमय मौतों में अचानक वृद्धि हो गई है। दोहरीघाट स्थित मुक्तिधाम पर हाल यह कि शव जलाने के लिए इंतजार करना पड़ रहा है। बुधवार को इस महाश्मशान घाट पर शव लाने वाले वाहनों की अधिक संख्या के चलते वापस जाने वाले वाहनों को जाम समाप्त होने तक इंतजार करना पड़ा।
अभी कड़ाके की ठंड नहीं पड़ रही है पर शाम से सुबह तक तापमान में काफी गिरावट दर्ज की जा रही है। चिकित्सकों के अनुसार तापमान के इस अचानक परिवर्तन से हृदय एवं सांस रोगियों की मृत्यु की संभावना बढ़ जाती है। मौसम के इस परिवर्तन से अचानक होने वाली मौतों का गवाह इन दिनों दोहरीघाट स्थित मुक्तिधाम बना है। यहां पर सामान्य दिनों में शवों की औसत संख्या 20 से कम रहती है पर इन दिनों यह संख्या 50 तक पहुंच गई है। ठंड बढ़ने के साथ ही शवों की संख्या भी बढ़ गई है। मुक्तिधाम पर बुधवार को हाल यह कि सर्वत्र जलते शव ही दिखे। शव लेकर आने वालों वाहनों की ऐसा कतार लग गई कि दोपहर एक बजे के बाद शव लेकर आए वाहनों को दूर ही खड़ा होना पड़ा। मृतक के परिजन शव को वाहन से उतार कर कंधे पर लेकर काफी दूरी तय करने के बाद घाट पर पहुंचे। यहां भी चिता सजाने के लिए स्थान की तलाश करनी पड़ी।
-
क्या कहते हैं चिकित्सक
नगर के नवजीवन अस्पताल के हृदय रोग विशेषज्ञ डा. संजय वर्मा बताते हैं कि तापमान में गिरावट से रक्त का घनत्व अधिक हो जाता है। रक्त गाढ़ा होने से हृदय को पर्याप्त रक्त नहीं पहुंचता है। इससे हृदय रोग से ग्रसित मरीजों का रक्तचाप बढ़ जाता है और मृत्यु भी संभव है। तापमान में परिवर्तन से शरीर के हार्मोन्स भी प्रभावित होते हैं। हार्मोन्स के असंतुलित होने से मानसिक रोग होने की आशंका बढ़ जाती है। डा. वर्मा बताते हैं कि ठंडक के दिनों में वातावरण में बैक्टीरिया लेवल अधिक होने से सांस के पुराने रोगियों सहित अस्थमा के मरीजों को भी दिक्कत होती है। सावधानी न बरतने पर मृत्यु की आशंका बढ़ जाती है।