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आसमान तक सिमटे बादल, खेतों में पड़ी दरारें

मौसम की मार ककककक

By JagranEdited By: Published: Fri, 12 Aug 2022 08:15 PM (IST)Updated: Fri, 12 Aug 2022 08:15 PM (IST)
आसमान तक सिमटे बादल, खेतों में पड़ी दरारें
आसमान तक सिमटे बादल, खेतों में पड़ी दरारें

आसमान तक सिमटे बादल, खेतों में पड़ी दरारें

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जागरण संवाददाता, मऊ : इसे ग्लोबल वार्मिंग का असर कहें या मौसम की मार। पर मौसम ने किसानों की कमर तोड़कर रख दी है। किसान अपने धान की फसल को लेकर चिंतित हैं। खेतों में दरारें पड़नी शुरू हो गई हैं। सावन माह में भी अपेक्षित बारिश नहीं हुई। ऐसे में धान की पैदावार में 25 से 30 प्रतिशत तक की कमी के आसार जताए जाने लगे हैं। अगर ऐसा होता है तो किसानों के लिए भारी मुसीबत खड़ी हो जाएगी। क्योंकि पहले ही बारिश नहीं होने से लगभग 20 हजार हेक्टेयर धान का रकबा घट चुका है। ऐसे ही कम पैदावार होगी पर बारिश भी नहीं होने से खेतों में रोपे गए धान की फसल भी सूखने लग गई है। खेत हो बचे उसमें भी किसानों ने दलहन और तिलहन की खेती शुरू कर दी। दरअसल इसमें उन्हें ज्यादा मुनाफा नजर आ रहा था, लेकिन कम बारिश ने खरीफ की पूरी फसल पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने के आसार नजर आने लगे हैं।

बरसात में जून, जुलाई व अगस्त माह पीक माना जाता है। जून में बारिश नहीं होने से शुरूआत में ही सूखे की मार किसानों पर पड़ गई। यही हाल जुलाई का भी रहा। पूरे माह एकाध दिन मेघ बरसे। हालांकि पूरे माह पुरवा हवाएं चलती रही। आसमान में काले बादलों के छाने का बदस्तूर क्रम जारी रहा। जुलाई माह बीतने के बाद अगस्त माह में यही क्रम जारी रहा। लगभग आधा माह बीतने को है पर तेज बारिश नहीं हुई। इसका असर यह है कि जनपद में धान रोपाई के लक्ष्य 89 हजार हेक्टेयर खेत के बदले लगभग 70 हजार हेक्टेयर खेतों में ही रोपाई किसी तरह हो पाई। अब धान की रोपाई किए किसान अपनी फसल को बचाने के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं। दिन-रात किसान ट्यूबवेल चला रहे हैं। बारिश नहीं होने से ओवरलोड के चलते बार-बार ट्रिपिंग भी हो रहा है, तो वहीं ट्यूबवेल भी अपेक्षा से कम पानी दे रहे हैं। बारिश नहीं होने से किसानी पर उपजे संकट से जनपद में लगभग 25 से 30 प्रतिशत तक उत्पादन प्रभावित होने की आशंका जताई जा रही है।

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देर से हुई रोपाई : वैसे भी बारिश देर से होने के चलते धान की रोपाई में भी विलंब हुआ। जुलाई माह के अंत तक किसान रोपाई करते रहे। अब उन पौधों को बचाना टेढी खीर नजर आने लगा है। हल्की-फुल्की बारिश से धान की फसल को कोई लाभ होता नहीं दिख रहा। अगस्त माह में एक भी दिन अभी तक तेज बारिश नहीं हुई। ऐसे में पैदावार घटना तय माना जा रहा है।

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अब तो धान की फसल में रोग भी लगने लगे : जुलाई में हल्की-फुल्की बारिश होने के बाद किसानों ने धान की रोपाई तो कर दी लेकिन अपेक्षित बारिश नहीं होने के चलते एक तरफ जहां धान की फसल सूखती नजर आ रही है तो वहीं पौधों में रोग भी लगने लगे हैं। जिला कृषि अधिकारी उमेश कुमार ने बताया कि किसान खेतों में नमी बनाए रखें। खर-पतवार नियंत्रण अवश्य करें।


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