लेखनी-मसिपात्र संग पूजे गए भगवान चित्रगुप्त
संपूर्ण चराचर सृष्टि में समस्त बौद्धिक कार्यों के आदि प्रणेता, प्राणियों के शुभाशुभ कर्मों की गणना करने वाले आदि कायस्थ भगवान चित्रगुप्त की जयंती यम द्वितीया पर शुक्रवार को चित्रांश समाज उनके समक्ष नतमस्तक हुआ। विधि-विधान पूर्वक उनका षोडशोपचार पूजन-अर्चन किया गया। इसके साथ ही कायस्थों ने अपनी आजीविका के साधन कलम-दवात के प्रति भी निष्ठा एवं कृतज्ञता ज्ञापित करते हुए उसके प्रति शीश झुकाया।
जागरण संवाददाता, मऊ : संपूर्ण चराचर सृष्टि में समस्त बौद्धिक कार्यों के आदि प्रणेता, प्राणियों के शुभाशुभ कर्मों की गणना करने वाले आदि कायस्थ भगवान चित्रगुप्त की जयंती यम द्वितीया पर शुक्रवार को चित्रांश समाज उनके समक्ष नतमस्तक हुआ। विधि-विधान पूर्वक उनका षोडशोपचार पूजन-अर्चन किया गया। इसके साथ ही कायस्थों ने अपनी आजीविका के साधन कलम-दवात के प्रति भी निष्ठा एवं कृतज्ञता ज्ञापित करते हुए उसके प्रति शीश झुकाया। बैकुंठ लोक में समस्त प्राणियों के शुभाशुभ कर्मों के अनुसार उनके कर्मफल का निर्धारण करने वाले भगवान चित्रगुप्त कार्तिक शुक्ल पक्ष द्वितीया को प्रजापिता ब्रह्मा की 11 हजार वर्षों की अखंड तपस्या के फलस्वरूप लेखनी और मसिपात्र (दवात) लेकर उनकी काया से उत्पन्न हुए थे। इसी दिन पृथ्वी पर उनके वंशज कायस्थ समुदाय के लोग उनकी जयंती मनाते हैं। विधि पूर्वक उनका षोडशोपचार पूजन करते हैं। इसी के साथ ही वे अपनी आजीविका के प्रमुख साधन कलम व दवात की भी पूजा करते हैं। नगर में सहादतपुरा स्थित भगवान चित्रगुप्त मंदिर में कायस्थ समाज ने सामूहिक पूजनोत्सव का आयोजन किया। इसमें शहर निवासी दर्जनों कायस्थ परिवारों ने आस्था, श्रद्धा व उत्साह के साथ भाग लिया। भगवान चित्रगुप्त के समक्ष नतमस्तक हो सदाचारपूर्ण जीवन व्यतीत करने का संकल्प लेते हुए अपना वार्षिक बजट भी तय किया। जनपद के चिरैयाकोट, काझा, खीरिया, करहां, पलिया, घोसी, मुहम्मदाबाद गोहना, मधुबन, पलिगढ़ आदि प्रत्येक क्षेत्रों के कस्बों व गांवों में रहने वाले चित्रांश समाज के लोगों ने अपने आदि कुलदेव को नमन करते हुए कलम दवात की पूजा किया।
रतनपुरा प्रतिनिधि के अनुसार क्षेत्र की विभिन्न ग्राम पंचायतों में चित्रांश बंधुओं ने अपने कुलदेव भगवान चित्रगुप्त का वैदिक मंत्रोच्चार के साथ पूजन-अर्चन कर आर्शीवाद लिया। भगवान चित्रगुप्त की पूजा के साथ ही साथ कलम दावात की भी पूजा की गई। स्थानीय बाजार स्थित चित्रगुप्त मंदिर पर हुए मुख्य पूजन समारोह के साथ ही साथ पीपरसाथ खालिसपुर, इटैली, भुडसुरी, जमीन शहरुल्लाह, गहनी, भुआलपुर, छिछोर, बड़ागांव, बिलौझा, मोहनसराय आदि गांवो में भी समारोह पूर्वक चित्रगुप्त पूजन हुआ। इस पूजन में चित्रांश बंधुओं के साथ ही साथ समाज के अन्य वर्ग के लोगों ने भी अपनी सहभागिता निभाई। इनसेट--
कलम-दावात संग बही खातों का भी हुआ पूजन
कायस्थ वंशज अपने कुलदेव भगवान चित्रगुप्त की पूजा के साथ बही खातों व लेखनी का भी पूजन किया गया। कायस्थ वंशज कन्हैयालाल श्रीवास्तव एवं लालता लाल श्रीवास्तव ने बताया कि हमारे समाज में कलम दवात की पूजा का विशेष महत्व है। इस पूजा के माध्यम से हमारा समाज बौद्धिक कार्यों के प्रथम प्रणेता भगवान चित्रगुप्त की पूजा कर उन्हें याद करते हैं।