अतिकुपोषित बच्चों को एनआरसी में भेजकर स्वस्थ समाज का करें निर्माण : डीएम
जागरण संवाददाता मऊ जनपद के प्रत्येक बच्चे को स्वस्थ बनाने को लेकर जिलाधिकारी अमित सिंह बंसल
जागरण संवाददाता, मऊ : जनपद के प्रत्येक बच्चे को स्वस्थ बनाने को लेकर जिलाधिकारी अमित सिंह बंसल ने शनिवार को पोषण माह की समीक्षा किया। उन्होंने एकीकृत बाल विकास योजना (आइसीडीएस) विभाग के अधिकारियों एवं कर्मचारियों से कहा कि वह कुपोषित बच्चों (सैम) के अभिभावकों से आह्वान करें कि चिकित्सकों की सलाह पर बच्चों को पोषण पुनर्वास केंद्र (एनआरसी) भेजें, जिससे कुपोषण के खिलाफ जारी जंग में बच्चों को सुपोषित बनाकर स्वस्थ समाज का निर्माण किया जा सके।
जिलाधिकारी ने कहा कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिका बच्चों एवं महिलाओं के पोषण में सुधार के लिए निरंतर काम कर रही हैं। वह अति कुपोषित बच्चों (सैम) का चिह्नीकरण कर रहीं हैं और उनका संदर्भन भी कर रहीं हैं। ऐसे परिवार जिनमें इस श्रेणी के बच्चे हैं, वह अपने बच्चों को नजदीक के एएनएम उपकेंद्रों, प्राथमिक-सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों एवं जिला अस्पताल के पोषण पुनर्वास केंद्र पर भेजने में अपना सहयोग दें। बताया कि छह माह तक केवल मां का दूध, इस थीम को पोषण माह में बढ़ावा दिया जा रहा है। छह माह बाद स्तनपान के साथ ही ऊपरी आहार की शुरूआत करना चाहिए। पोषण माह में किचेन-न्यूट्री गार्डेन के लिए पौधे लगाए जाने का निश्चय किया गया है। परिवारों को अधिक से अधिक पौष्टिक सब्जी, सहजन, आंवला एवं फलों के पौधे लगाने के लिए प्रोत्साहित करें।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. सतीशचंद्र सिंह ने बताया कि पोषण की ²ष्टि से बाल्यकाल के प्रथम 1000 दिन, गर्भावस्था के 270 दिन और दो साल के होने तक के 730 दिन बहुत ही महत्वपूर्ण होते हैं। एक तरह से बच्चों के शारीरिक, मानसिक विकास के लिए यह सुनहरा अवसर है। इस समय बच्चों को संपूर्ण भोजन, टीकाकरण, स्वच्छता एवं देखरेख की जरूरत होती है। बच्चों को छह माह तक सिर्फ मां का दूध ही पिलाएं। मां का यही दूध शारीरिक-मानसिक विकास, डायरिया, निमोनिया, कुपोषण से बचाने तथा स्वास्थ्य के लिए जरूरी होता है।
बताया कि मुख्यालय पर सदर अस्पताल स्थित पोषण पुनर्वास केंद्र (एनआरसी) में अब तक आए 590 अति कुपोषित बच्चे पोषण का लाभ प्राप्त कर चुके हैं। जिला कार्यक्रम अधिकारी (डीपीओ) दुर्गेश कुमार ने बच्चों के शारीरिक विकास में मां के दूध की भूमिका महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने बच्चों को छह माह तक स्तनपान कराने तथा छह माह बाद आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की सलाह पर स्तनपान के साथ पोषक तत्त्वों से युक्त ऊपरी आहार देने की बात कहा।