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फल व पकवान से भोले बाबा का किया गया श्रृंगार

मुहम्मदाबाद गोहना (मऊ) स्थानीय कस्बे के मोहल्ला सैदपुर स्थित प्राचीन शिव मंदिर में सावन मास के मौके पर सोमवार की देर रात्रि भगवान शिव का विभिन्न प्रकार के पकवान व फल से उनका सिगार किया। इसमें मंदिर समिति के पदाधिकारी संजीव गुप्ता किशोर कुमार दिव्यांश जायसवाल कृष्ण कुमार हरीश चंद्र जायसवाल आदि पदाधिकारी शामिल रहे।

By JagranEdited By: Published: Tue, 21 Jul 2020 05:17 PM (IST)Updated: Tue, 21 Jul 2020 05:17 PM (IST)
फल व पकवान से भोले बाबा का किया गया श्रृंगार
फल व पकवान से भोले बाबा का किया गया श्रृंगार

जागरण संवाददाता, मुहम्मदाबाद गोहना (मऊ) : स्थानीय कस्बे के मोहल्ला सैदपुर स्थित प्राचीन शिव मंदिर में सावन मास के मौके पर सोमवार की देर रात्रि भगवान शिव का विभिन्न प्रकार के पकवान व फल से उनका श्रृंगार किया। इसमें मंदिर समिति के पदाधिकारी संजीव गुप्ता, किशोर कुमार, दिव्यांश जायसवाल, कृष्ण कुमार, हरीश चंद्र जायसवाल आदि पदाधिकारी शामिल रहे। श्रावण मास के इस पावन बेला में यह कार्यक्रम पंडित दीपक कुमार पाठक के नेतृत्व में किया गया। इसमें  भोले बाबा का  श्रद्धालुओं ने फूल माला तथा विभिन्न प्रकार के पकवान से  श्रृंगार कर विधि विधान से पूजा करने के पश्चात श्रद्धालुओं में प्रसाद बांटे गए।

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इस बाबत मंदिर के पुजारी दीपक कुमार पाठक ने भक्तों को बताया कि भगवान शिव को द्वादश मास अत्यधिक प्रिय है। शिव पुराण के अनुसार श्रावण मास में भगवान नित्य पूजित शिवलिग में जागृत अवस्था में सदा विराजमान रहते हैं। इस मास में भगवान का रुद्र मंत्रों द्वारा अभिषेक करने से सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं। मानव दैविक और भौतिक तीनों पापों से मुक्ति पा जाता है। उसे मनवांछित फल की प्राप्ति होती है। पूरे सावन के महीने में पृथ्वी पर शिव का वास होता है। इस दौरान की गई पूजा का फल अन्य दिनों की अपेक्षा अधिक मिलता है। सावन मास के अलावा दूसरे महीनों में भगवान शिव की पूजा से पहले शिव वास देखना पड़ता है। इसी कारण सावन मास में किसी दिन भी शंकर की पूजा और रुद्राभिषेक किया जा सकता है। पंडित दीपक कुमार पाठक ने यह भी बताया कि कालसर्प दोष निवारण के लिए यह महीना काफी उत्तम होता है। भगवान शिव को बेलपत्र भांग धतूरा सफेद पुष्प आदि बहुत प्रिय है। जो लोग श्रद्धा पूर्वक इन सामग्रियों को अर्पित कर एकाग्र चित्त से पूजन करते हैं। भगवान उनका तथा उनके परिवार का सभी कष्ट हर लेते हैं। इसलिए सावन माह में मंदिर पर जलाभिषेक करने वाले भक्तों का जमावड़ा लगा होता है। 


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