एनीमिया से बचाव में बथुआ' सर्वाधिक उपयोगी
एनीमिया मुक्त भारत अभियान के तहत चल रहे कार्यक्रमों की समीक्षा जिलाधिकारी ज्ञान प्रकाश त्रिपाठी ने की। उन्होंने आरबीएसके टीम के साथ बैठक कर जरूरी दिशा-निर्देश दिए।
जागरण संवाददाता, मऊ : एनीमिया मुक्त भारत अभियान के तहत चल रहे कार्यक्रमों की समीक्षा जिलाधिकारी ज्ञान प्रकाश त्रिपाठी ने की। उन्होंने आरबीएसके टीम के साथ बैठक कर जरूरी दिशा-निर्देश दिए। इस दौरान 'बथुआ' वनस्पति में मौजूद गुणों और उसके प्रयोग के लाभ पर चर्चा की गई। जिलाधिकारी ने इससे होने वाले फायदे को जन-जन तक पहुंचाने के निर्देश दिए।
श्री त्रिपाठी ने बताया कि बथुआ का साग दाल में पकाकर या चोखा बना कर खाएं। इसमें पोषक तत्वों की अधिकता है। इसमें उपस्थित पोषक तत्वों से शहरी और ग्रामीण किशोरियों और महिलाओं में सभी प्रकार की एनीमिया (खून की कमी) को दूर किया जा सकता है। इसमें विटामिन बी-1, बी-2, बी-3, बी-5, बी-6, बी-9 और विटामिन 'ए' 'सी' 'डी' भी भरपूर है। बथुवे में कैल्शियम, लोहा (आयरन), फाइबर, मैग्नीशियम, मैगनीज, फास्फोरस, पोटाशियम, सोडियम व जिक आदि मिनरल्स पाए जाते हैं। 100 ग्राम कच्चे बथुवे यानि पत्तो में 7.3 ग्राम कार्बोहाइड्रेट, 4.2 ग्राम प्रोटीन व 4.00 ग्राम पोषक रेशे मिलाकर 43 ग्राम कैलोरी होती है।
जिला महिला अस्पताल की स्त्री रोग विशेषज्ञ डा.अलका राय ने बताया कि खून की कमी, बीमार आदि होने पर चिकित्सक भी विटामिन की टेबलेट का परामर्श देते हैं। किशोरियों और महिलाओं को विटामिन बी, सी व लोहे (आयरन) की गोली इस्तेमाल करने का परामर्श दिया जाता है। सरकार भी राष्ट्रीय किशोर-किशोरी स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरकेएसके) के तहत आयरन की नि:शुल्क गोली वितरित कर रही है। जबकि केवल बथुआ साग में इन सभी दवाइयों के गुण विद्यमान हैं। बथुआ साग लड़कियों, महिलाओं के साथ-साथ बच्चों से लेकर सभी आयु वर्ग के लिए लाभदायक है। इसके इस्तेमाल से पेट साफ करने के साथ-साथ किशोरियों और महिलाओं मासिक धर्म की समस्या भी हल होती है।