आंगनबाड़ी महिलाओं की आस अधूरी, संघर्ष की मजबूरी
अरसे से मानदेय वृद्धि और न्यायसंगत अधिकार पाने की जद्दोजहद में लगी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता एक बार फिर संघर्ष करने की तैयारी में हैं।
जागरण संवाददाता, घोसी (मऊ) : अरसे से मानदेय वृद्धि और न्यायसंगत अधिकार पाने की जद्दोजहद में लगी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता एक बार फिर संघर्ष करने की तैयारी में हैं। आंगनबाड़ी कर्मचारी एवं सहायिका एसोसिएशन उत्तर प्रदेश (गीतांजलि गुट) की जिलाध्यक्ष कंचन राय ने इस बार भी प्रदेश सरकार द्वारा छले जाने का आरोप लगाया है। आंगनबाड़ी महिलाओं की आस अधूरी, संघर्ष की मजबूरी का भाव प्रकट करते हुए प्रदेश स्तर पर एक बार फिर धरना-प्रदर्शन और आंदोलन सहित विधानसभा का घेराव किए जाने की बात कही है। प्रदेश अध्यक्ष गीतांजलि मौर्य के निर्देश पर इस तरह की तैयारी भी चल रही है।
दरअसल जून माह में मानदेय वृद्धि को लेकर प्रदेश स्तर पर आयोजित धरना प्रदर्शन के दौरान मुख्यमंत्री ने आंगनबाड़ी एसोसिएशन की प्रांतीय अध्यक्ष श्रीमती मौर्य सहित अन्य प्रतिनिधियों को मानदेय में वृद्धि किए जाने का भरोसा दिया था। 7 जून 18 को कार्यकर्तां को आठ से दस हजार रुपये एवं तदनुसार सहायिकाओं के मासिक मानदेय में भी वृद्धि एवं 01 अप्रैल 16 से प्रभावी किए जाने की घोषणा तो की गई पर क्रियान्वन न हो सका। उधर तीन दिन पूर्व आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के विभिन्न संगठनों को संबोधित करते हुए मुख्य सचिव अनूप चंद्र पांडेय ने प्रदेश सरकार द्वारा मानदेय में 500 रुपये की वृद्धि की जानकारी दी। इसे लेकर सभी संगठन एवं गुट अब छला सा महसूस कर रहे हैं। एसोसिएशन की जिलाध्यक्ष श्रीमती राय इस मुद्दे पर आक्रोश जताते हुए कहती हैं कि यदि महज पांच सौ रुपये ही वृद्धि करनी थी तो मानदेय लगभग दोगुना गुना किए जाने का आश्वासन ही क्यों दिया गया। नारी सशक्तिकरण का राग अलापने वाली भाजपा सरकार ने महज पांच सौ रुपये की वृद्धि कर महिलाओं का मखौल उड़ाया है। इस समूचे मुद्दे पर कहा है कि उन्होंने प्रदेश अध्यक्ष श्रीमती मौर्य द्वारा प्रेषित पत्र का हवाला देते हुए कहा है कि मुख्यमंत्री ने भूल सुधार कर अपने आश्वासन पर अमल नहीं किया तो आर-पार का संघर्ष होगा। आने वाले दिनों में होने वाला यह आंदोलन और आंगनबाड़ी महिलाओं का आक्रोश प्रदेश सरकार के लिए हितकर नहीं होगा।