बंदउं गुरु पद पदुम परागा..
भारतीय संस्कृति के सर्वश्रेष्ठ रिश्तों में एक गुरु-शिष्य परंपरा का महान पर्व गुरु पूर्णिमा संपूर्ण जनपद में मंगलवार को आस्था श्रद्धा और उल्लास के संग मनाया गया। भारतीय संस्कृति के सर्वश्रेष्ठ रिश्तों में एक गुरु-शिष्य परंपरा का महान पर्व गुरु पूर्णिमा संपूर्ण जनपद में मंगलवार को आस्था श्रद्धा और उल्लास के संग मनाया गया।
जागरण संवाददाता, मऊ : भारतीय संस्कृति के सर्वश्रेष्ठ रिश्तों में एक गुरु-शिष्य परंपरा का महान पर्व गुरु पूर्णिमा संपूर्ण जनपद में मंगलवार को आस्था, श्रद्धा और उल्लास के संग मनाया गया। गुरु दरबारों में इस दौरान साधक श्रद्धालु व भक्त शिष्यों की भारी उमड़ी। सबने श्री गुरुचरणों में शीश नवाकर गुरुकृपा प्राप्त की। शिक्षण संस्थानों से लेकर आध्यात्मिक आश्रमों तक में पर्व का उल्लास छाया रहा। विभिन्न धार्मिक, आध्यात्मिक और शिक्षण संस्थाओं द्वारा विविध आयोजन किए गए।
अखिल विश्व गायत्री परिवार के लोगों ने सहादतपुरा स्थित मां गायत्री प्रज्ञापीठ पर परिवार के संस्थापक गुरुदेव श्रीराम शर्मा, मां गुरु एवं दादा गुरु का स्मरण किया। उनका दर्शन-पूजन कर उन्हें नमन किया। इस दौरान यज्ञ-हवन, सत्संग व कीर्तन का भी आयोजन किया गया। गुरु पूर्णिमा को जरूर करें गुरु दर्शन
जासं, चिरैयाकोट (मऊ) : क्षेत्र के सरसेना स्थित स्वरूप आश्रम पर मंगलवार को गुरु पूजा श्रद्धा भाव से मनाया गया। यहां कोलकाता, मुंबई, दिल्ली, नेपाल, गोरखपुर, वाराणसी आदि देश के विभिन्न हिस्सों से आए श्रद्धालु भक्त अपने गुरुदेव का दर्शन कर एवं सत्संग सुन कृतार्थ हुए। आश्रम में गुरुदेव सरकारजी ने गुरु पूजा का महत्व बताते हुए कहा कि आज के दिन कहीं भी रहें परंतु गुरु का दर्शन जरूर करें। परमात्मा ने मनुष्य रूपी मन मंदिर बनाया है। इस परमात्मा के हरि मंदिर वाले लोग आपस में मिलजुल कर रहें तो देश का कल्याण होगा। लोग आपस में द्वेष कर अपना सुख खोजते हैं, इस स्थिति में कोई कैसे खुश रह सकता है, जब दूसरे हरि मंदिर को दुख पहुंचता हो। सरकारजी ने कहा कि जो दूसरे को पीड़ा देगा उसे निश्चित ही पीड़ा मिलेगी। उन्होंने स्वयं सर्वप्रथम 'गुरु ब्रह्मा, गुरु विष्णु, गुरुर्देवो महेश्वर:, गुरु साक्षात परम ब्रह्मा तस्मै श्री गुरुवे नम:' श्लोक का उच्चारण करते हुए सबसे पहले गुरु की पूजा की। बताया कि सांसारिक जीवन की सफलता से लेकर मोक्ष तक के मार्ग को गुरु ही प्रशस्त करता है। संत कबीर ने भी समझाया है कि सोई गुरु नित्य वंदिए, महिमा नाम गुरु गुण गाथा। शब्द को जो बताए वही गुरु है। तुलसीदास जी ने कहा कि वंदना करो जिसने भेद बताया। तुलसीदास जी बताते है कि शंकर ही गुरु है और गुरु ही शंकर है। जो अमृत का पान करता है उसका नाम अमर हो जाता है। तुलसीदास जी ने अमृत का पान किया। सुनिए सुधा देखिये गरल, सब करतूति कराल। मुहम्मद ने समझाया कि वह आसमानी आवाज कलाम पाक है। आज सब बाहर में देखते हैं। इस अवसर पर सुबह से ही श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी पड़ी थी। अमृतवाणी छलकी तो गूंज उठा जयकारा जागरण संवाददाता, दोहरीघाट (मऊ) : सद्गुरुदेव की अमृतवाणी सुनते ही अंतर्राष्ट्रीय मातेश्वरी महाधाम भक्तों द्वारा लगाए गए जयकारों से गूंज उठा। गुरु पूर्णिमा के अवसर पर मातेश्वरी भक्तों ने सदगुरु महाराज के चरणों में फूल-माला अर्पित कर उनकी वंदना किया तथा उनके हाथों प्रसाद ग्रहण किया। सरयू तट पर स्थित मातेश्वरी महाधाम में प्रात:काल से भक्तों की अपार भीड़ लगी हुई थी। कई जनपदों से लोग गुरु के दर्शन पूजन को कतारबद्ध होकर जयकारा करते रहे। भजन कीर्तन में लीन सतगुरु महाराज के शिष्यों ने पूरे दिन भक्ति की अलख जगाए रखी। इस मौके पर प्रदेश के अनेक जनपदों के अलावा दूसरे राज्यों से भी काफी संख्या में मातेश्वरी भक्त पहुंचे थे। इधर दूसरी ओर बाबा जयगुरुदेव के अनुयायियों ने गोंठा में जयप्रकाश बरनवाल के आवास पर उनके चित्र पर फूल माला चढ़ाकर प्रार्थना की। नई बाजार में विश्वनाथ के संचालन में बाबा जयगुरुदेव आश्रम पर गुरु पूर्णिमा का पर्व मनाया गया। इसी तरह से गृहस्थी जीवन व्यतीत करने वाले लोग भी अपने गुरु की अर्चना पूजा किए।