पीएम के सपनों पर प्रशासनिक कुठाराघात
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के दावे करते नहीं अघाते परंतु उनका ही प्रशासन दावों को फेल करने में लगा है। आलम यह है कि रबी सीजन में गेहूं के फसल की ¨सचाई चल रही पर न तो नहरों की सिल्ट सफाई ही हुई और न ही नहरों में पानी ही आया। किसानों के प्रति न तो प्रशासन गंभीर दिखाई पड़ रहा है और न ही ¨सचाई विभाग ही। किसान किसी तरह खेतों में भराई कर गेहूं तो बो लिए परंतु ¨सचाई कैसे करेंगे यह उनके समक्ष बड़ी समस्या बना है। वहीं प्रशासन केवल किसान दिवस व तहसीलों में लोगों की समस्याएं सुनकर कागजी निस्तारण में मस्त है। न एक बार उच्चाधिकारियों ने इसकी ¨चता की और न ही सत्ताधारी दल के जन प्रतिनिधियों ने ही।
जागरण संवाददाता, मऊ : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के दावे करते हैं परंतु प्रशासन उनके दावों को फेल करने में लगा है। आलम यह है कि रबी सीजन में गेहूं के फसल की ¨सचाई चल रही पर न तो नहरों की सिल्ट सफाई ही हुई और न ही नहरों में पानी ही आया। किसानों के प्रति न तो प्रशासन गंभीर दिखाई पड़ रहा है और न ही ¨सचाई विभाग ही। किसान किसी तरह खेतों में भराई कर गेहूं तो बो लिए परंतु ¨सचाई कैसे करेंगे यह उनके समक्ष बड़ी समस्या बना है। वहीं प्रशासन केवल किसान दिवस व तहसीलों में लोगों की समस्याएं सुनकर कागजी निस्तारण में मस्त है। न एक बार उच्चाधिकारियों ने इसकी ¨चता की और न ही सत्ताधारी दल के जन प्रतिनिधियों ने ही।
जनपद में खरीफ सीजन में बारिश कम होने से भूमिगत जलस्तर काफी नीचे खिसक गया है। इसका खामियाजा यह रहा कि खेतों की भराई करने के लिए किसानों को पापड़ बेलने पड़े। किसी तरह किसान खेतों की भराई कर जहां बहुतेरे किसानों ने किसी तरह दलहनी, तिलहनी, आलू व गेहूं की बोआई तो कर लिया परंतु अब समस्या ¨सचाई की आन पड़ी है। अभी भी बहुत से किसान गेहूं की पछेती बोआई कर रहे हैं। अब किसानों के सामने बड़ा सवाल फसल की ¨सचाई का है। पहले ही कम बारिश के चलते सैकड़ों की तादाद में प्राइवेट ट्यूबवेल बंद हो गए हैं। ऐसे ट्यूबवेल पानी ही नहीं दे रहे हैं। वहीं प्रशासन भी सूखाग्रस्त घोषित करने के लिए रिपोर्ट शासन को नहीं भेज रहा। पिछले दिनों किसान दिवस में किसानों ने नहरों की दुर्दशा को मुद्दा उठाया था। इस पर 25 नवंबर तक का वक्त नहरों की सिल्ट सफाई के लिए मांगा गया था। हकीकत यह है कि आज तक शारदा सहायक से लगायत दोहरीघाट पंप कैनाल नहर की सिल्ट सफाई नहीं हो पाई। उधर प्रधानमंत्री का दावा है कि 2022 तक प्रत्येक किसानों की आय दोगुनी कर दी जाएगी। इसके लिए कई योजनाएं संचालित की जा रही है परंतु बिन ¨सचाई यह कैसे पूरा होगा, यह प्रश्न बना हुआ है। इनसेट--
एक वर्ष से पानी के लिए तरस रही नहर
जल में मीन पियासी, मोहे सुन-सुन आवे हासी वाली कहावत शारदा सहायक नहर सिद्ध कर रही है। आजमगढ़ रजवाहा में एक वर्ष से पानी ही नहीं आया है। पूर्व रबी का सीजन बीतने के बाद चाहे खरीफ हो या वर्तमान रबी का सीजन, अभी तक नहर में एक बूंद पानी नहीं आया। आलम यह है कि पूरी नहर झाड़-झंखाड़ से पटी पड़ी है। गेहूं ¨सचाई का पीक आवर चरम पर है और ¨सचाई के लिए पानी की अति आवश्यकता है परंतु प्रशासन की नाकामी किसानों पर भारी पड़ रही है। इनसेट--
सिल्ट सफाई के नाम होता है घोटाला
प्रतिवर्ष नहरों की सिल्ट सफाई के नाम पर लाखों रुपये डकार लिए जाते हैं। लाखों का टेंडर पाए ठेकेदार नाम मात्र के घासों की सफाई कराकर इतीश्री कर लेते हैं तो अधिकतर नहरों में तो सफाई ही नहीं होती। कागजों में नहरों को साफ कराकर धन उतार लिए जाते हैं। किसान हर वर्ष यह मुद्दा उठाता है परंतु न तो किसानों की समस्या को लेकर प्रशासन गंभीर है और न ही जनप्रतिनिधि।