धान की बिक्री को लेकर किसान आशंकित
घोसी (मऊ) : धान का कस्टम मिल्ड राइस (सीएमआर) जमा न होने से किसानों को गत वर्ष बेचे गए धान का भुगतान न मिल सका है। उधर एफसीआई (भारतीय खाद्य निगम) ने मानक के अनुसार चावल न होने से राइस मिलों से चावल लेने से इंकार कर चुकी है। मिलरों के विरुद्ध आरसी जारी है। तमाम मिलों का लाइसेंस निलंबित है। ऐसे में कब मिलेगा भुगतान कहा नहीं जा सकता है। इस वर्ष मिलर धान की कुटाई से अभी से तौबा करने की बात कर रहे हैं। जाहिर है कि इस बार धान की खरीद की राह में तमाम रोड़े होंगे। किसान भी इस समस्या को समझते हुए धान बेचने को लेकर आशंकित है।
जनपद में धान का बेहतर उत्पादन होता है। जनपद के किसानों से धान की खरीद हेतु लगभग चार दर्जन क्रय केंद्र स्थापित किए जाते हैं। इन केंद्रों पर क्रय धान को कुटाई हेतु विभिन्न संबद्ध राइस मिलों को भेजा जाता है। कुटाई के बाद प्राप्त मिलें चावल को सीएमआर (कस्टम मिल्ड राइस) के रूप में एफसीआई गोदाम में पहुंचाती हैं। वर्ष 11-12 में एफसीआई का मानक ऐसा कि लगभग 40 राइस मिलों में सीएमआर (वह चावल जो केंद्रों से लिए गए धान की कुटाई के बाद देना आवश्यक है) के रूप में एक लाख पंद्रह हजार कुंतल चावल रिजेक्ट हो गया। गत वर्ष शासन ने बकाया सीएमआर चावल मूल्य के एक फीसदी राशि के समतुल्य बैंक गारंटी लेकर किसी तरह अनुबंध किया। गत वर्ष किसी तरह धान मिलों तक पहुंचा पर सीएमआर जमा करने के वक्त एफसीआई ने एक बार फिर मानक का चाबुक चलाया। हाल यह कि गत वर्ष चंद मिलें ही चावल जमा कर सकीं। उधर शासन ने अंतत: इन मिलरों के विरुद्ध आरसी जारी कर दी है। कुछ मिलों का लाइसेंस भी निलंबित कर दिया है। अब खरीद के बाद कहां और कैसे होगी धान की कुटाई स्पष्ट नहीं है। राइस मिल एसोसिएशन के अध्यक्ष शंकर प्रसाद कहते हैं कि जिले की राइस मिलों में कुटाई के बाद प्राप्त चावल एफसीआई के मानक के अनुरूप नहीं होता है तो मिलर क्यों धान की कुटाई करें और आरसी का दंड भुगतें। इस स्थिति के बीच तमाम सवालों में अहम यह कि ऐसे में किसानों के धान की खरीद सरकारी क्रय केंद्र करेंगे या किसान खुले बाजार में सस्ते दाम धान बेचने को विवश होगा।
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