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Yoga Guru: 103 वर्ष की आयु में 84 आसन से दिन की शुरुआत, जवान भी इनके आगे हैं फेल

Yoga Guru रोजाना 84 आसन के साथ दिन की शुरुआत करते हैं योगी रामआसरे त्‍यागी। 70 वर्ष पहले अयोध्‍या छोड़कर आ गए थे कान्‍हा की नगरी।

By Prateek GuptaEdited By: Published: Fri, 11 Sep 2020 07:32 PM (IST)Updated: Fri, 11 Sep 2020 07:32 PM (IST)
Yoga Guru: 103 वर्ष की आयु में 84 आसन से दिन की शुरुआत, जवान भी इनके आगे हैं फेल
Yoga Guru: 103 वर्ष की आयु में 84 आसन से दिन की शुरुआत, जवान भी इनके आगे हैं फेल

मथुरा, रसिक शर्मा। योग के मामले में लोग जुबां पर बाबा रामदेव का नाम याद रखते हैं। बृज में एक योगी ऐसे भी हैं, जो योग के दम पर ही 103 वर्ष की आयु हासिल कर चुके हैं और इस उम्र में भी उनके आगे जवान फेल हैं। योगीराज श्रीकृष्ण की धरा दुनिया के लिए आकर्षण ही ऐसा है। योगीराज के एक ऐसे ही साधक हैं रामआसरे त्यागी महाराज। वह 103 वर्ष की उम्र में हर रोज 84 आसन लगाते हैं। इनमें कुछ तो बहुत कठिन हैं। योग का ही परिणाम है कि उनका पूरा शरीर रबर की तरह मुलायम है। योग करते वक्‍त अगर इन्‍हें देख लें तो दांतों तले उंगलियां दब जाती हैं।

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गोवर्धन परिक्रमा मार्ग पर पूंछरी और जतीपुरा के मध्य स्थित संकटहरण योगाश्रम देश-विदेश के लिए योग का संवाहक केंद्र है। योगाश्रम के महंत रामआसरे दास महाराज हैं। उन्होंने 70 साल पहले ही अयोध्या छोड़ वृंदावन में ठाकुरजी की शरण ली थी। कुछ समय बाद गोवर्धन आ गए। यहां जीवन योग साधना को समर्पित कर दिया। अब 103 साल की उम्र में भी योगीराज की योग साधना को देखने लायक है। वह एक बार योग करना शुरू कर देते हैं, तो 84 आसन किए बिना रुकते नहीं हैं। ये उनका नित्य का काम है। चक्रासन में दोनों हाथ और दोनों पैर जमीन पर रखे होने के बाद इतनी तेजी से घूमते हैं कि देखने वाले पलक तक नहीं झपकाते। हाथों की मात्र तीन उंगलियों पर पूरे शरीर का वजन रखकर मयूर आसन भी परफेक्ट अंदाज में करते हैं। कच्छव, कमल, गर्भ, भगि तथा पद्मासन में कहीं कोई अटकाव नहीं दिखता।

योग की वजह से उनकी काया में भरपूर चपलता है। हर दिन योग करने के बावजूद रामआसरे दास महाराज न के बराबर डाइट लेते हैं। भुने हुए 50 ग्राम चने से दो-तीन दिन गुजार देते हैं। थोड़ी सी खिचड़ी भी कई दिन तक उदर पूर्ति करती रहती है। योग के अलावा गोसेवा उनकी दिनचर्या में शुमार है। महाराज कहते हैं कि भारतीय संस्कृति में योग को उच्च दर्जा प्राप्त है। वह आश्रम में आए तमाम शिष्यों को निश्शुल्क योग की शिक्षा देते हैं। साथ ही कहते हैं कि सरकार को शिक्षा मंदिरों में योग की कक्षाएं लगानी चाहिए।


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