यमुना के जलचरों को जाल बिछाकर शिकारी बना रहे निवाला
सर्दी पाले के मौसम में शिकारियों ने यमुना पर कब्जा कर रखा है। जगह-जगह बेरीके¨टग एवं जाल बिछा कर दिन-रात मछली, कछुए एवं पक्षियों का शिकार किया जा रहा है।
संवाद सूत्र, सुरीर: सर्दी के मौसम में शिकारियों ने यमुना पर कब्जा कर रखा है। जगह-जगह बैरीकेडिंग एवं जाल बिछा कर दिन-रात मछली, कछुए एवं पक्षियों का शिकार किया जा रहा है। इनकी सप्लाई आसपास के होटल ढाबे समेत नोएडा, दिल्ली तक की जा रही है।
दरअसल सर्दी के मौसम में मीट की मांग बढ़ गई है। मछली के अलावा पक्षियों में जल मुर्गी की मांग स्थानीय कुछ होटलों के अलावा नोएडा, दिल्ली के प्रमुख होटलों में ज्यादा की जा रही है। उनकी पूर्ति के लिए शिकारियों ने यमुना की धारा पर जगह-जगह कब्जा कर रखा है। शिकार करने के लिए नदी में बैरीकेडिंग कर जाल डाल रखा है। शेरगढ़ से मांट के मध्य यमुना नदी में करीब आधा दर्जन स्थानों पर शिकारियों ने बैरिके¨डग और जाल बिछा रखा है। जहां दिन-रात मछली, कछुआ और पानी में आ रहे पक्षियों का शिकार किया जा रहा है और इन जलचरों को गाड़ियों से नोएडा व दिल्ली तक भेजे जा रहे हैं। दिल्ली के होटलों में डिमांड-
यमुना किनारे किसानों ने बताया कि दूसरे-तीसरे दिन तीन-चार गाड़ियां मछली और कछुए से भरकर जा रही हैं। पक्षियों का शिकार करने वाली जल मुर्गी का भी बड़े स्तर पर शिकार किया जा रहा है। इसमें काज नामक पक्षी भी शामिल है। जल मुर्गी और काज को मांग के अनुरूप नोएडा और दिल्ली भेजा जा रहा है। जल मुर्गी पांच सौ रुपये किलो-
शिकारियों के साथ काम कर रहे एक मजदूर ने बताया कि जल मुर्गी 500 रुपये किलो तक बड़े-बड़े होटल में बेची जा रही हैं। इनका मीट अन्य पक्षियों के मीट की तुलना में अधिक गर्म होता है। काज प्रजाति का पक्षी रात में ही नदी पर आता है और पूरे समूह के साथ नदी में उतरता है। नदी में जाल पड़ा होने से वह फंस जाता है। जिसे ¨जदा पकड़ कर बिक्री को भेज दिया जाता है।
रोक लगाई जाए: युवा क्षत्रिय महासभा के जिलाध्यक्ष भूपेंद्र ¨सह राजपूत एवं एंटी करप्शन सोसाइटी के चेयरमैन कर्नल ¨सह ने अवैध रूप से मछली, कछुआ समेत जलचरों एवं पक्षियों के शिकार पर तुरंत रोक लगाने एवं शिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।
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उनके क्षेत्र में अगर कहीं पक्षियों का शिकार किया जा रहा है तो वह जांच करा कर इसमें लिप्त शिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेंगे।
एमबी ¨सह, वन क्षेत्राधिकारी मांट