यहां तो गोवंश को छाया तक का इंतजाम नहीं
शासन द्वारा स्थापित कान्हा पशु आश्रय गोशाला में एक हजार 394 गोवंश का पालन हो रहा है। जबकि गोशाला में अब तक कुल 4
वृंदावन: ये वह धरती है, जहां पर गोसंवर्धन की मिसाल पेश की गई। जहां गोपाल को गायों की चिता थी। लेकिन आज उसी धरा पर गोपाल की गायों की बेकदरी है। उन आश्रय स्थलों में गोवंश को समस्याओं से जूझना पड़ रहा है, जो खुद सरकार ने बनवाए हैं। वृंदावन में कान्हा पशु आश्रय गोशाला में बदहाली है। गोवंश तो रख लिए, लेकिन उनकी छाया का इंतजाम नहीं किया।
कान्हा पशु आश्रय स्थल गोशाला में 1394 गोवंश का पालन हो रहा है। लेकिन अब तक कुल 480 गायों के रहने के लिए ही शेड बन सका हैं। बाकी के गोवंश तेज धूप में रहने को मजबूर हैं, लेकिन अब तक प्रशासन इसकी व्यवस्था नहीं कर पाया है। यहां 414 गाय, 700 सांड़ और 280 बछड़े हैं। लेकिन छांव की पर्याप्त व्यवस्था न होने पर गोवंश बेहाल हो जाते हैं। जो तिरपाल लगाया गया है, वह भी कई स्थान पर या तो फटा है या फिर पूरी तरह व्यवस्थित नहीं है। 30 रुपये में कैसे भरेगा पेट -
नगर निगम द्वारा संचालित गोशाला की जिम्मेदारी दाऊदयाल पाठक संभाल रहे हैं। वह कहते हैं कि शासन से प्रतिदिन एक पशु के लिए चारे के 30 रुपये दिए जाते हैं। जबकि एक गोवंश के चारे पर ही 45 से 48 रुपये खर्च हो जाते हैं। गोवंश को हरा चारा, भूसा, चोकर-चुन्नी व पशु आहार दिया जाता है। दावा है कि सरकार से जो बजट मिलता है, उससे काम नहीं चलता है। ऐसे में नगर निगम अपने संसाधनों से पूर्ति करता है। बॉ्स
ये मिल रहा चारा-
गोशाला में प्रति गोवंश के लिए चार किलो हरा चारा, तीन किलो भूसा, आधा किलो चोकर अथवा पशु आहार दिया जाता है। एक दिन चोकर-चुन्नी और एक दिन पशु आहार दिया जा रहा है। प्रति गोवंश को 8 किलो वजन का चारा गोशाला में दिया जा रहा है। गोपालक भी नहीं -
गोशाला में पल रहे गोवंश पर करीब 50 गोपालक होने चाहिए। जबकि वर्तमान में तीस गोपालक ही शासन की ओर से दिए गए हैं। नगर निगम द्वारा गोपालकों की संख्या में इजाफा करने के लिए शासन से पत्राचार किया जा रहा है।