जीवन के विपरीत हालात में होता है विचित्रता का दर्शन : ऋतंभरा
संवाद सहयोगी मथुरा वृंदावन में साध्वी ऋतंभरा ने कहा कि जीवन बहुत अद्भुत है लेकिन इसकी अलौकिकता तब समझ में आती है जब हम धर्म से ²ष्टि प्राप्त कर लेते हैं।
संवाद सहयोगी, मथुरा : वृंदावन में साध्वी ऋतंभरा ने कहा कि जीवन बहुत अद्भुत है, लेकिन इसकी अलौकिकता तब समझ में आती है, जब हम धर्म से ²ष्टि प्राप्त कर लेते हैं। अभी देश के अंदर और बाहर सारा विश्व महामारी से जूझ रहा है। इस सारी परिस्थिति में आपने लोक जीवन की सारी विचित्रता का दर्शन किया होगा। बहुत से लोग घर से बेघर हैं। पैरों में छाले पड़ गए हैं। भूख ही लाई थी घर से बाहर रोटी कमाने को और आज भूख ही बेचैन और व्याकुल करके घर जाने को विवश कर रही है।
वात्सल्य ग्राम में चल रहे ब्रह्मयज्ञ के दौरान रविवार को साध्वी ऋतंभरा ने कहा, जिंदगी की ये विचित्रता हमारी ही काया, हमारा मन और हमारा शरीर कौन से तत्वों से संचालित होता है? पोषण के बिना शरीर और प्रेम-भक्ति और भावनाओं के बिना मन की खुराक पूरी नहीं होती। आत्मा को जाना नहीं जाता, आत्मस्थ हुआ जाता है।
आजकल व्यासपीठ पर बैठकर जो हिदुओं के खिलाफ षड्यंत्र चल रहा है, या हम पाखंडियों को कैसे पहचानें के जवाब में साध्वी ऋतंभरा ने कहा हमें स्वयं को पहचानने में अपनी ऊर्जा को लगाना चाहिए और अगर हम शिष्य हो गए तो छोटा सा तिनका और छोटी सी घटना से पशु-पक्षी भी हमारे गुरु हो सकते हैं। इसलिए किसी अच्छे की तलाश में बाहर भटकने की जरूरत नहीं है। हमें स्वयं को पहचानना होगा। कोई भी व्यक्ति धर्म का प्रवक्ता हो, जो अपने से आपको बांधता हो, वह गुरु है ही नहीं। जो अपने से आपको मुक्त कर दे, वही गुरु है। अंत में उन्होंने गांव पहुंचे लोगों की समृद्धि की कामना की। साध्वी ऋतंभरा ने सर्वमंगला मां का स्मरण करते हुए ऑनलाइन जुड़े अनुयायियों के साथ ब्रह्मयज्ञ किया।