वेटेरिनरी ने गर्दन बचाने को काटी किसानों की जेब
माधुरी कुंड फार्म पर धान की रोपाई का काम बीच में छोड़कर भाग गया था ठेकेदार, एक एकड़ नर्सरी में रह गईं पौधों को किल्ले फूटने पर 25 हजार में किया नीलाम
मनोज चौधरी, मथुरा:
पंडित दीनदयाल उपाध्याय पशु चिकित्सा विज्ञान एवं विश्वविद्यालय एवं गो अनुसंधान संस्थान के माधुरी कुंड कृषि फार्म पर तैनात अधिकारियों ने अपनी गर्दन बचाने के लिए किसानों की जेब काट दी। रोपाई का समय निकल जाने के बाद उनको एक महीने से अधिक पुरानी धान की पौध बेच दीं। किसानों को यह भी नहीं बताया गया कि इन पौधों की रोपाई किए जाने पर उत्पादन नहीं होगा।
वेटेरिनरी कालेज का माधुरी कुंड में 1396 हेक्टेयर का कृषि फार्म है। 105 एकड़ में धान की रोपाई के लिए 15 जून के बाद नर्सरी तैयार की गई। धान की ये पौध सुगंधी-2 प्रजाति की थी। जुलाई के पहले सप्ताह तक इसकी रोपाई की जानी थी। इसके लिए तीन हजार रुपये प्रति एकड़ की दर से टेंडर खुला। ठेकेदार ने पौधों की रोपाई करने के समय तक सिर्फ 85 एकड़ में रोपाई की। इसके बाद वह काम छोड़कर भाग गया। करीब बीस एकड़ में रोपाई के लिए धान की पौध नर्सरी में खड़ी हो गई। पौधों की रोपाई का समय गुजर जाने के चलते करीब एक एकड़ नर्सरी बेकार हो गई। इनकी रोपाई करने पर उत्पादन की गुंजाइश भी लगभग खत्म हो गई। इसने कृषि फार्म पर तैनात अधिकारियों को मुसीबत में डाल दिया। कम रकबा में रोपाई होने से कृषि फार्म की आय में कमी आना तो तय माना जा रहा है, साथ ही नर्सरी की लागत का हिसाब-किताब भी भारी पड़ने लगा।
इधर, जुलाई के अंतिम सप्ताह में हुई बारिश से जलभराव भी हो गया। तमाम किसानों के धान के पौधे गल कर नष्ट हो गए। किसान भी धान की नई पौध की तलाश कर रहे थे। वे माधुरी कुंड पहुंच गए। अधिकारियों ने इसका फायदा उठाया और नर्सरी की पौध नीलाम कर दीं। हालांकि नीलामी वेटेरिनरी कालेज के कुलपति प्रो. डॉ. केएमएल पाठक की मंजूरी मिलने के बाद आसपास के किसानों को बुलाकर की गई। गांव सौंसा निवासी पदम ¨सह ने पच्चीस हजार रुपये में एक एकड़ नर्सरी नीलामी में ली। जलभराव होने से परेशान किसानों से संपर्क किया और उनको फुटकर में पौध बेच दीं। जो करीब साठ हजार रुपये में बिकीं। यहां से धान की पौध लेकर गए किसानों को यह नहीं बताया गया था कि इस पौध की रोपाई करने से उत्पादन की कोई गुंजाइश नहीं हैं। किसान पौध को ले गए और अपने खेतों में उसकी रोपाई भी कर रहे हैं। रोपाई से लेकर फसल के पकने तक किसान भरपूर लागत भी लगाएंगे, जो उनको खेतों से वापस नहीं मिल पाएगी। -माधुरी कुंड कृषि फार्म से जो पौध नीलाम की गई हैं, उनकी रोपाई किए जाने से कोई फायदा नहीं था। ये जानकारी कृषि फार्म के डायरेक्टर और अन्य अधिकारियों को किसानों को देनी चाहिए थी। किसानों को यह बताया गया है या नहीं। इसकी जांच कराई जाएगी। नीलामी की मंजूरी भी दो-तीन दिन पहले दी गई है।
प्रोफेसर डॉ. केएमएल पाठक
कुलपति वेटरिनरी कालेज