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आए परिक्रमा देने, प्यार हुआ और फेरे ले लिए

दो विदेशी जोड़ों ने सनातन संस्कृति में किया विवाह, एक माह पूर्व कार्तिक में चौरासी कोस परिक्रमा को आए थे वृंदावन

By JagranEdited By: Published: Mon, 26 Nov 2018 12:05 AM (IST)Updated: Mon, 26 Nov 2018 12:05 AM (IST)
आए परिक्रमा देने, प्यार हुआ और फेरे ले लिए
आए परिक्रमा देने, प्यार हुआ और फेरे ले लिए

वृंदावन, जासं: जापान की सचिको कवोयाशी वृंदावन में कार्तिक नियम सेवा और चौरासी कोस परिक्रमा करने आई थीं। परिक्रमा करते भगवान श्रीकृष्ण की लीला और उनके प्रेम प्रसंग सुनकर ऐसा प्रभाव पड़ा कि साथ परिक्रमा करने के दौरान ही पेरू निवासी जैरोट मंशीला को दिल दे बैठीं। उन्होंने ¨हदू रीति रिवाज से सात फेरे ले लिये। साथ ही कोलंबिया के एंड्रिस एडीपे टोरेक्स ने भी अपना जीवन साथी एक्वाडोल को चुना।

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भूत गली स्थित वृंदा कुंज में रविवार को कोलंबिया निवासी एक्वाडोल (मोहना वंशी बिहारी) ने एंड्रिस एडीपे टोरेक्स (ब्रह्मसंहिता दासी) के साथ तथा पेरू निवासी जैरोट मंसीला (मुकुंद माधव दास) ने जापान निवासी सचिको कवोयाशी (केशीघाट देवी दासी) के साथ वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच फेरे लिए। गुरु महाराज परम अद्वैती दास, अंबिका देवी दासी, वृंदावन चंद्र समेत अनेक लोग मौजूद रहे। पहली बार आए और अपनाई भारतीय संस्कृति:

वृंदा कुंज के गुरु महाराज परम अद्वैती दास ने बताया कि चारों जोड़े कार्तिक मास में चौरासी कोस परिक्रमा को आए थे। पेरू निवासी जैरोट मंसीला पहली बार वृंदावन आए हैं। भारतीय सनातन संस्कृति का इन पर ऐसा प्रभाव पड़ा कि उन्होंने ¨हदू रीति रिवाज से विवाह बंधन में बंधने का निर्णय लिया।


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