शिक्षा के हथौड़े से तोड़ रहीं गरीबी की बेड़ियां
अबलाओं को सबला बना रही ममता सक्सेना, स्वरोजगार के लिए प्रशिक्षण देकर बनाती आत्मनिर्भर
कोसीकलां, संसू। ममता भले साधारण महिला है, लेकिन दूसरों को कर्मठ बनाने की नीयत उसे असाधारण बना देती है। वह शिक्षक बनकर अपने घर चलाने का फर्ज तो भलीभांति निभा ही रही ही है, साथ ही दूसरी महिलाओं को भी संबल बनाने का धर्म पूरा कर रही है।
रामनगर निवासी ममता सक्सेना का दिहाड़ी मजदूर राजेश सक्सेना से विवाह हुआ, तो किराए के मकान में गुजारा कर रही ममता ने अपने जैसी हालत में जीवनयापन कर रही दूसरी महिलाओं का दर्द समझा। उन्होंने शिक्षा को गरीबी से लड़ने का हथियार बनाया। एमए पास ममता ने शिक्षक बनकर पहले अपना घर चलाने में पति की मदद की, फिर दूसरी महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने में जुट गई। 2013 में नौकरी छोड़ी। गरीब तथा अशिक्षित महिलाओं व युवतियों को शिक्षित करने का बीणा उठाया। ¨हदू-मुस्लिम बहुल इलाकों में घर-घर बालिकाओं को शिक्षित करने की मुहिम छेड़ी और रोजगारपरक प्रशिक्षण देना शुरू किया। वह अब तक करीब 400 महिलाओं व युवतियों को ब्यूटी पार्लर, सिलाई-कढाई एवं संगीत का प्रशिक्षण दिला चुकी हैं। अब उसके परिणाम भी सामने आने लगे हैं।
करीब दो दर्जन से अधिक स्वरोजगार पा चुकी हैं। उनकी कक्षाओं में करीब एक सैकड़ा महिलाएं प्रशिक्षण पा रही हैं। इससे उनके हौसलों को पंख लगे हैं और अब वह उड़ान वेलफेयर संस्था के जरिए यह प्रकल्प चला रही हैं। इन्हें मिला रोजगार: गोपाल बाग निवासी विवाहिता पूनम ने ममता से सिलाई प्रशिक्षण लिया और अब स्वयं केंद्र खोलकर प्रशिक्षण दे रही हैं। वह बताती हैं कि अब घर बैठे रोजगार मिल रहा है और प्रशिक्षण देने में अच्छा भी लग रहा है। उनके सेंटर पर दो दर्जन महिलाएं प्रशिक्षण ले रही हैं। इसी तरह, रामनगर निवासी कुसुम ने प्रशिक्षण लेकर ब्यूटी पार्लर का काम शुरू किया है। वह ब्यूटी पार्लर एवं मेहंदी लगाकर अपना और परिवार का खर्च निकाल रही हैं।