जीडीपी में योगदान देने वाला व्यापारी हलकान, चुनावी संवाद में बताई समस्याएं
देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में लगभग
मथुरा: देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में लगभग 85 फीसद योगदान देने वाला कारोबारी हलकान है। ताज ट्रिपेजियम जोन (टीटीजेड) के फेर में पुराने धंधे चौपट हो रहे हैं। वहीं नए के स्थापित होने का अता-पता नहीं है। जीएसटी और ई-वे बिल जैसी व्यवस्था से अभी भी सामंजस्य नहीं बैठ पा रहा है। इन्हीं सब मुददों को जानने के लिए दैनिक जागरण ने होली गेट स्थित श्री तिलकद्वार अग्रवाल धर्मशाला में व्यापारियों के साथ चुनावी संवाद किया।
चैरिटी से लेकर चुनाव में मदद करने वाला व्यापारी कई समस्याओं से दो-चार हो रहा है। उनका कहना है कि सबसे बड़ी परेशानी तो अफसरशाही है, जो किसी भी सरकार में सुधरने का नाम नहीं लेती। हालांकि टॉप लेवल पर तो योजनाएं बनती हैं, लेकिन निचले स्तर पर उनका क्रियान्वयन नहीं हो पाती। इसलिए इसमें सुधार की सबसे ज्यादा दरकार है। इधर, टैक्स की बात की जाए, तो जीएसटी आने के बाद भी कर दरों में अभी कुछ क्षेत्रों में असमानता देखने को मिलती है। सबसे ज्यादा असर डाला है ईधन को जीएसटी में शामिल न करना। इसे दायरे में लाने से व्यापार अपने आप सुगम हो जाएगा। व्यापारियों की सुरक्षा भी एक बड़ा मुददा है। कानून व्यवस्था बेहतर होनी चाहिए। इस दौरान व्यापार मंडल के युवा नगर अध्यक्ष मुकेश अग्रवाल, राजेंद्र अग्रवाल, शशिभानु गर्ग, सुनील अग्रवाल, राजीव मित्तल, जितेंद्र कुमार अग्रवाल, अशोक वाष्र्णेय, भुवेंद्र कुमार, केदार खंडेलवाल, मीनालाल अग्रवाल मौजूद रहे। काम न करने की पड़ेगी आदत: कांग्रेस के चुनावी घोषणापत्र को लेकर व्यापारियों ने साफ कहा कि 72 हजार रुपये देना लोगों में काम न करने की आदत डालेगा। इसी तरह विभिन्न पार्टियों ने किसान कर्ज माफी का जो तरीका अपनाया है वह भी ठीक नहीं है। अन्नदाता की आय बढ़ाने के विकल्प ढूंढने चाहिए। ये है एजेंडा:
-आकस्मिक निधन पर परिवार को आर्थिक सहायता
-व्यापारियों को पूर्ण सुरक्षा दी जाए
-ई-वे बिल और जीएसटी का सरलीकरण
-ऑनलाइन बिक्री पर रोक लगाई जाए
-लंबे समय से चली आ रही पेंशन की मांग पूरी हो
-ट्रैफिक व्यवस्था में सुधार होना चाहिए
-बंदरों से शहर का मुक्ति मिले
-आइटी सेक्टर को बढ़ावा मिले
-नई कर व्यवस्था में पेट्रोल और गैस भी आए
-जीआरपी और आरपीएफ की अवैध वसूली रुके इंडस्ट्रियल एरिया की टूटी-फूटी सड़कें ठीक होनी चाहिए। नई औद्योगिक इकाइयों के खुलने का रास्ता साफ हो, जिससे बेरोजगारी समाप्त हो। -मुकेश अग्रवाल टीटीजेड के नियमों में बदलाव होना चाहिए। ई-वे बिल और जीएसटी में सरलीकरण हो। राया में जाम से मुक्ति के लिए ओवरब्रिज का निर्माण होना जरूरी है।
-शशिभानु गर्ग व्यापारियों के लिए सुरक्षा एवं पेंशन की व्यवस्था हो। कारोबारियों के खिलाफ लिखी जाने वाली एफआइआर पर पहले विचार होना चाहिए।
-राजीव मित्तल अफसरशाही पर लगाम लगनी चाहिए। यह कारोबार को पनपने नहीं देती है। ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए, जिससे इनकी जवाबदेही तय होने लगे। -सुनील अग्रवाल