बैंक ने तगादे में वसूला शौचालय का अनुदान
कई लाभार्थियों के शौचालय आधे-अधूरे, बैंकों का था बकाया, शौचालय निर्माण के लिए दो किश्तों में दिया गया था अनुदान
अभय गुप्ता, सुरीर: खुले में शौच से मुक्त करने को घर-घर शौचालयों के निर्माण में बैंक पलीता लगा रही हैं। लाभार्थियों के खाते में भेजा जा रहे अनुदान को बैंक अपने तगादे में हड़प रही है। तमाम लाभार्थियों के शौचालय आधे-अधूरे रह गए हैं।
सुरीर कला के चंद्रशेखर को शौचालय के लिए ग्राम पंचायत निधि से छह हजार रुपये की पहली किश्त मिली थी। वे रुपये निकालने के लिए बैंक गए तो खाली हाथ ही रहे। बैंक ने बताया कि ये रकम ऋण वसूली में समायोजित कर ली गई है। इसी तरह, नगला बरी निवासी ज्ञानचंद को भी शौचालय के लिए अनुदान मिला था। स्टेट बैंक ने केसीसी बकाए को चुकता करने के लिए ये रकम अपने खाते में ट्रांसफर कर ली। गांव भिदौनी के लाभार्थी शिव ¨सह को भी बैंक यही कारण बता अनुदान नहीं दे रही है।
गरीबों के यहां शौचालय निर्माण के लिए सरकार से बारह हजार रुपये का अनुदान दिया जा रहा है। यह धनराशि दो किश्तों में दी जा रही है। गड्ढा खोदाई और चिनाई शुरू होने पर पहली किश्त और निर्माण कार्य पूरा होने पर दूसरी किश्त दी जा रही है। लाभार्थियों ने बताया कि धनराशि न मिल पाने के कारण उनके शौचालय के निर्माण कार्य अधूरे पड़े हुए हैं।
स्वच्छ भारत मिशन के तहत शौचालय बनवाने के लिए लाभार्थियों के खातों में भेजी गई धनराशि को बैंक अपने बकाए में काट रही है। अगर, यह धनराशि लाभार्थी को बैंक ने नहीं दी तो बैंक के खिलाफ कार्रवाई के लिए शासन को लिखा जाएगा।
- डॉ. प्रीतम ¨सह, जिला पंचायत राज अधिकारी