उप्र में बढ़ा टिड्डी के आने का खतरा
कृषि विभाग ने जारी की एडवाइजरी किसान किए आगाह सावधान! राजस्थान और पंजाब की तरफ से हो सकती हैं दाखिल बचाएं फसल टिड्डी फसलों की हरी पत्तियां खा लेती हैं जिससे फसल सूख जाती है
जागरण संवाददाता, मथुरा : कृषि विभाग ने कोरोना वायरस के फैल रहे संक्रमण के बीच एक नई मुसीबत के आने के संकेत दिए हैं। बताया है कि राजस्थान और पंजाब की तरफ से टिड्डी दल एक झुंड के रूप में उत्तर प्रदेश में दाखिल हो सकती हैं। कृषि विभाग ने इसको लेकर एडवाइजरी जारी करते हुए किसानों को आगाह किया है। विकास खंड स्तर पर तैनात विभागीय अधिकारियों को इस पर नजर रखने और नियंत्रण की कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं।
कोरोना वायरस के संक्रमण के फैलाव को रोकने के लिए लागू किए लॉकडाउन का असर किसानों पर भी पड़ा है। मंडियों के खुलने का समय निर्धारित होने और बाजारों के बंद रहने से उनको उपज का वाजिब मूल्य नहीं मिल पा रहा है। इस समय हो रहे नुकसान की भरपाई की उम्मीद खरीफ फसलों से लगाए बैठे हैं। अगले महीने जून के अंतिम सप्ताह में धान की रोपाई का समय आ जाएगा। इस बीच में किसानों के लिए एक और नया खतरा आने के संकेत मिल रहे हैं। 14 मई को कृषि रक्षा अनुभाग कृषि विभाग पंजाब और राजस्थान की तरफ से टिड्डी के आने की आशंका व्यक्त की है। जिला कृषि रक्षा अधिकारी विभाति चतुर्वेदी ने बताया दोनों राज्यों से टिड्डी दल एक झुंड के रूप में उत्तर प्रदेश में दाखिल हो सकता है। इसको लेकर किसानों को आगाह किया जा रहा है। राजस्थान बॉर्डर से लगे गांवों के किसानों पर टिड्डी दल के झुंड से निपटने के उपाय बताए जा रहे हैं। विकास खंड गोवर्धन, छाता, नंदगांव और फरह पर तैनात विभागीय अधिकारियों को भी सतर्क करने के निर्देश जारी कर दिए हैं। ग्राम प्रधान, लेखपाल और ग्राम पंचायत अधिकारियों को भी इस संबंध में निर्देश जारी कर दिए गए हैं। हरी पत्तियों को खा जाएंगे : टिड्डी दल खड़ी फसलों की हरी पत्तियों को खा जाएगा। जब उसको फसलों की पत्तियां नहीं मिल पाएंगी तो वह पेड़ पौधों की पत्तियों को अपना भोजन बनाएगा। पत्तियों के नष्ट होने से फसलें भी बर्बाद हो जाएंगी। ऐसे होगा नियंत्रण :
टिड्डी के झुंड के आने पर किसान ड्रम, ढोल और टीन बजा कर सामूहिक रूप से शोर करें। इससे वे वापस भाग जाएंगी। रसायनिक उपचार भी इसका किया जा सकता है। क्लोरोपाईरीफॉस 20 प्रतिशत, क्यूनॉलफॉस 1.5 प्रतिशत, फैनीट्रोथियोन 50 ईसी या फिर मैलाथियान 96 प्रतिशत यूएलवी में किसी एक दवा का घोल बनाकर फसलों पर सुरक्षात्मक छिड़काव भी किया जा सकता है। इसे टिड्डी दल पर प्रयोग किया जा सकता है।