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हर घटना का है मजमून, फिर भी बहता खून

दुर्घटना के बाद पुलिस और यमुना एक्सप्रेस वे प्राधिकरण करता रहा सुरक्षा दावा एक्सप्रेस वे पर हादसों पर विराम लगाने को नहीं उठाए जा रहे ठोस कदम

By JagranEdited By: Published: Sun, 15 Sep 2019 11:55 PM (IST)Updated: Wed, 18 Sep 2019 06:22 AM (IST)
हर घटना का है मजमून, फिर भी बहता खून
हर घटना का है मजमून, फिर भी बहता खून

अभय गुप्ता, सुरीर (मथुरा): यमुना एक्सप्रेस वे पर गुरुवार को कोई पहला हादसा नहीं हुआ है। साढ़े नौ माह में 77 लोगों को यही एक्सप्रेस वे निगल चुका है। हर घटना पर पुलिस और यमुना एक्सप्रेस वे की रेस्क्यू टीम पहुंची। कारणों को खोजा भी गया। सुरक्षा के दावे किए गए। मगर, राहगीरों की सुरक्षा के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए।

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अत्यधिक गति, झपकी, मार्ग किनारे खड़े वाहन, जंगली जानवरों की उछल-कूद और टायरों के फटने के कारण ही अब तक हादसों की वजह सामने आई है। बलदेव, महावन, राया, सुरीर और नौहझील पुलिस के रिकार्ड में भी यही कारण दर्ज है। यमुना एक्सप्रेस वे विकास प्राधिकरण भी हर घटना के बाद सुरक्षा के उपाय करने का दावा करता चला आ रहा है, पर होता कुछ नहीं है।

रविवार तड़के करीब साढ़े चार बजे हुए हादसे के पीछे भी एक्सप्रेस वे पर खड़े ट्रक ही मुख्य वजह रहे। भरतपुर से गिट्टी लेकर दिल्ली नोएडा की तरफ जाने वाले वाहन शेरगढ़ होकर बाजना कट पर पहुंचते हैं। यही एक्सप्रेस वे पर चालक ट्रकों को खड़ा करके विश्राम करते हैं। ऐसे ही खड़े ट्रक से बस टकराई थी, जिसमें दो लोगों की जिदगी खत्म हो गई। आराम करने और खराब होने पर मजबूरी में खड़े किए गए वाहनों को तत्काल हटाने के लिए कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। स्पीड नियंत्रण के लिए स्पीडोमीटर नहीं लगे हैं। सीसीटीवी भी काम नहीं कर रहे हैं। कॉल बॉक्स खराब पड़े हैं। तार फेसिग क्षतिग्रस्त हो चुकी है। यही कारण है कि चालक लापरवाह होकर वाहनों को चला रहे हैं।

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प्रमुख घटनाएं

-माह-घटनास्थल-मृतकों की संख्या

-2 जनवरी-नौहझील-4

-10 फरवरी-नौहझील-3

-19 फरवरी-बलदेव-8

- 3 जून-बलदेव-4

-10 जून-सुरीर-5

-16 जून-बलदेव-8

-8 जुलाई-नौहझील-2

-28 जुलाई-महावन-2

-2 अगस्त-राया-2

(15 सितंबर तक 76 हादसे 77 की मौत और 408 घायल, विभिन्न थानों के रिकार्ड के अनुसार)


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