माखनचोर की नगरी में बहती दूध की धार
मनोज चौधरी मथुरा माखनचोर की नगरी में एक बार फिर श्वेतक्राति आ गई है। दूध दही ब्रजवासी छककर खा-पी रहे हैं। साथ में दिल्ली गजरौला बल्लभगढ़ धौलपुर बुलंदशहर कासगंज अलीगढ़ और हाथरस जिले को भी ताकत दे रहे हैं। करीब एक दशक पहले एक-सवा लाख लीटर दूध रोजाना पैदा होता था जो आज बढ़कर तीन लाख लीटर तक पर पहुंच गया। बरसात और सर्दियों में पाच लाख लीटर तक दूध का उत्पादन हो रहा है। दूध उत्पादन बढ़ने के पीछे नस्ल सुधार प्रमुख कारण रहा है। करीब एक दशक पहले क्रॉस ब्रीडिंग के कारण नस्ल बिगड़ने से उनकी दूध देने की क्षमता प्रभावित हुई।
मनोज चौधरी, मथुरा : माखनचोर की नगरी में एक बार फिर श्वेतक्राति आ गई है। दूध, दही ब्रजवासी छककर खा-पी रहे हैं। साथ में दिल्ली, गजरौला, बल्लभगढ़, धौलपुर बुलंदशहर, कासगंज, अलीगढ़ और हाथरस जिले को भी ताकत दे रहे हैं। करीब एक दशक पहले एक-सवा लाख लीटर दूध रोजाना पैदा होता था, जो आज बढ़कर तीन लाख लीटर तक पर पहुंच गया। बरसात और सर्दियों में पाच लाख लीटर तक दूध का उत्पादन हो रहा है। दूध उत्पादन बढ़ने के पीछे नस्ल सुधार प्रमुख कारण रहा है। करीब एक दशक पहले क्रॉस ब्रीडिंग के कारण नस्ल बिगड़ने से उनकी दूध देने की क्षमता प्रभावित हुई।
वर्ष 2019 में हुए हाउस होल्ड सर्वे 14.01 फीसद पशुधन में बढ़ोतरी हुई है। इनमें संकर गोपशु 34 फीसद बढ़े हैं। हालाकि इस बीच देसी नस्ल के गोपशु कम हुए हैं। उनकी दूध क्षमता निम्न स्तर पर आ गई। ब्रज की गोशाला में ऐसे गोपशु करीब 1.5 लाख हैं। 750 गावों में 80 फीसद परिवार दुधारू पशु पाल रहे हैं। शहर में 4-5 फीसद परिवार गोपालन कर रहे हैं, भैंस पालक 6-7 फीसद हैं। दूध उत्पादन बढ़ाने को एक दशक पहले क्रॉस ब्रीडिंग पर दिए गए बल से श्वेत क्राति को झटका लगा। दूध का उत्पादन गिरकर 1.25 लाख लीटर प्रतिदिन रह गया। कृत्रिम गर्भाधान और संकर पशु पालन से एक बार फिर दूध की धार बहने लगी है। आजकल तीन लाख लीटर दूध पैदा हो रहा है। वर्षा और शीतकाल में पाच लाख लीटर तक पहुंच रहा है।
मधु डेयरी सादाबाद रोड राया के संचालक शिवकुमार कहते हैं कि बीस साल पहले जब कारोबार शुरू किया था, तब एक सवा लाख लीटर दूध होता था। अब दो ढाई गुना हो रहा है। दुग्ध सहकारी समिति के अध्यक्ष रनवीर सिंह कहते हैं कि पहले पराग डेयरी 60 हजार लीटर दूध ही लेती थी, लेकिन अधिक दूध होने के कारण इसकी क्षमता बढ़ाकर एक लाख लीटर की जा रही है। पंडित दीनदयाल उपाध्याय पशु चिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय एवं गो अनुसंधान संस्थान के कोठारी अस्पताल के प्रभारी डॉ. रामसागर बताते हैं कि पहले पशुओं के झुंड चरकर आते थे, खूंटे पर बाध देते थे। इसी बीच क्रॉस ब्रीडिंग हुई और नस्ल बिगड़ गई। आज पालकों ने पशुपालन को व्यावसायिक रूप दे दिया। संकर पशु पाले और उनकी देखभाल भी कर रहे हैं। मुख्य पशु चिकित्साधिकारी योगेंद्र पंवार ने बताया कि पशुपालन के विकास को कई योजनाएं लागू की गईं। कृत्रिम गर्भाधान से पशुओं की नस्ल सुधरी है। खुरपका और मुंहपका जैसी बीमारी पर भी नियंत्रण किया गया है। इन्फो-
-53532 संकर गोपशु
-160704 देसी गाय
-576556 भैंस
-08 बड़ी दूध की डेयरिया
-50 छोटी और मध्यम डेयरी
ये बन रहे उत्पाद
छाछ, पनीर, खोआ, घी, मक्खन, दही।
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यहा तक हो रही सप्लाई
दिल्ली, गजरौला, बल्लभगढ़, धौलपुर बुलंदशहर, कासगंज, अलीगढ़ और हाथरस।