कठिन डगर से गुजर रहे चौरासी कोस के परिक्रमार्थी
संवाद सहयोगी मथुरा चौरासी कोस की परिक्रमा लगा रहे श्रद्धालुओं को कठिन डगर से गुजरना पड
संवाद सहयोगी, मथुरा: चौरासी कोस की परिक्रमा लगा रहे श्रद्धालुओं को कठिन डगर से गुजरना पड़ रहा है। राह में उनके लिए ठहरने की व्यवस्था न शौचालय के इंतजाम। पड़ाव स्थल पर बने विश्रामालय पर भी ताले लटका है। श्रद्धालु मंदिरों के चबूतरों पर खुले गगन के नीचे रात्रि विश्राम को मजबूर हैं।
अधिकमास में श्रद्धालु ब्रज चौरासी कोस की परिक्रमा लगा रहे हैं। परिक्रमा मार्ग की बदहाली किसी से छिपी नहीं है। सड़कों पर गहरे गड्ढों के बीच वह अपनी परिक्रमा पूरी करने के लिए निकल पड़े हैं। हालांकि, पिछलों सालों की तरह से इस बार परिक्रमा में श्रद्धालुओं की संख्या में कमी आई है, लेकिन जो भी परिक्रमा लगा रहे हैं उनको मुसीबतों का सामना भी करना पड़ रहा है। ब्रज चौरासी कोस का पहला पड़ाव मधुवन में है। गांव में कदम रखते ही स्वच्छता शासन की मंशा के उलट नजर आई। यहां पर एक पड़ाव स्थल भी है, जिस पर ताला लटका है। मधुवन कुंड के चबूतरा पर श्रद्धालु विश्राम कर रहे हैं। उनको यहां पेयजल, शौचालय जैसी सुविधा नसीब नहीं हो रही है। करीब तीन किमी की दूरी पर दूसरा पड़ाव स्थल तालवन है। तालवन तक मार्ग गंदगी से अटा पड़ा है। मार्ग में कहीं पर भी विश्राम और पेयजल के इंतजाम नहीं है। शाम होते ही परिक्रमा मार्ग अंधेरे में डूब जाता है। रोशनी की व्यवस्था नहीं की गई। तालवन में भी श्रद्धालु बलभद्र मंदिर में विश्राम करते हैं। विश्राम के लिए एक चबूतरा तक नहीं है। कुंड भी बदहाल है। भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति में सराबोर श्रद्धालु राधे-कृष्णा के जयघोष करते हुए आगे बढ़ रहे है। श्रद्धालुओं के विश्राम करने के लिए एक चबूतरा होना चाहिए। बलभद्र कुंड का सुंदरीकरण किया जाए। धार्मिक ²ष्टिकोण से यह स्थल महत्वपूर्ण है। प्रशासन इस तरफ ध्यान नहीं दे रहा है।
गोविराम-सेवायत, सेवायत, बलभद्र मंदिर परिक्रमा मार्ग में गड्ढे नहीं होने चाहिए। रास्ते में पेयजल और विश्राम की व्यवस्था होनी चाहिए। यह भगवान श्रीकृष्ण की नगरी है। परिक्रमा मार्ग में द्वापरकालीन युग जीवंत होना चाहिए।
बलवान सिंह-झांसी परिक्रमा मार्ग में जलभराव और गंदगी है। परिक्रमा मार्ग के रास्ते में दोनों और पौधे लगने चाहिए। रात में परिक्रमा करने वाले श्रद्धालुओं के लिए रोशनी की व्यवस्था होनी चाहिए। परिक्रमा मार्ग के पड़ाव स्थल विकसित होने चाहिए।
किशोर कृष्णदास-वृंदावन