अंत्योदय समूहों के रस से होगा विदेशी नीरस
धंधे का फंडा 17 हजार परिवार दिखा रहे परंपरागत खानपान आधुनिक डिजाइनिग में जड़ रहे हुनर के मोती
मनोज चौधरी, मथुरा :
गरीबी रेखा के नीचे की पंक्ति में गुजर बसर कर रहे अंत्योदय समूहों का हुनर का रस विदेशी को नीरस करेगा। करीब 15 हजार परिवार परंपरागत खानपान सामग्री से लेकर कपड़ों की आधुनिक डिजाइनिग में अपनी कला के मोती भी जड़ रहे हैं। प्रतिस्पर्धा के तराजू में इनकी प्रतिभा का पलड़ा भारी करने के लिए तकनीक का सहारा मिल जाए, तो यही हाथ विदेशी की लुटिया डुबोने भर के लिए काफी हैं।
अथक मेहनत के दम पर आधुनिक चकाचौंध भरे शहरों में अपने भविष्य के सुनहरे सपनों को सजाने संवारने के लिए कई बरस तक संघर्ष की गाथा लिखते रहे अंत्योदय परिवार बदले परिवेश में अपनी ही धरा पर लौट आए हैं। इसी माटी की सोंधी सुगंध में अपने जीवन की दूसरी पारी की शुरुआत करने की राह ताक रहे हैं। उनकी इस राह को अंत्योदय समूहों का हुनर आसान कर सकता है। इन समूह परिवारों के हाथों में बेजोड़ हुनर है। संतोष स्वयं सहायता समूह शाहपुर की अध्यक्ष राजकुमारी कहती हैं कि उनका समूह एक साड़ी में एक सैकड़ा मोती, सितारे जड़ने के एवज में सिर्फ एक रुपये मजदूरी ले रहा है। घरेलू काम निपटाने के बाद समूह की महिलाओं पर जब फुर्सत के क्षण होते हैं, तब उनकी अंगुलियां तीन-तीन दर्जन साड़ियों की चमक को दोगुना कर देती है। अपने परिवार की शाकभाजी और दूध चाय का खर्च निकाल लेती हैं। पुरुषों की कमाई दूसरे कार्यों के लिए बच जाती है। इसी राह पर चलकर वह अपनी तरक्की की मंजिल की तरफ बढ़ रही हैं।
राधा महिला स्वयं सहायता समूह सिहोरा की सचिव गीता तिवारी के अरमान तो विदेशी कपड़ों की डिजाइनिग को मात देने वाले हैं। वे कहती हैं, सिलाई, कढ़ाई का काम उनका समूह कर रहा है। भगवान की पोशाक, छोटे, बड़े बच्चों के डिजाइनर कपड़े की सिलाई कर बाजार में उतार रही हैं, जबकि स्कूल और कॉलेजों के साथ-साथ बड़ी-बड़ी भारतीय कंपनियों से कच्चा माल लेकर तैयार माल देने के लिए अनुबंध करने के लिए अपने हाथ बढ़ा रही है। राधिका रानी स्वयं सहायता समूह सिहाना की ओमवती कहती है कि उनके समूह ने साइन बोर्ड निर्माण में अपनी किस्मत आजमाई और पूरे चौमुहां ब्लॉक में आज उनके बने साइन बोर्ड की मांग ग्राम पंचायतें कर रही हैं। आज बचत भले ही कम हो रही है, लेकिन बूंद-बूंद से सागर भरने वाली कहावत को उनका समूह सार्थक करने को बेताब है। अंत्योदय परिवारों को समूहों में बदलने का कामकाज दे दिया जाए, तो इनके हाथ से विदेशी का जलवा जलकर राख हो जाएगा।
वर्जन-
वर्ष 2020-21 के लिए मथुरा जिले को इंसेंटिव योजना में शामिल कर लिया गया है। अंत्योदय समूहों को इसका यह लाभ मिलेगा कि जो अभी तक खानपान सामग्री अचार, मुरब्बा, पापड़, चिप्स, कंठीमाला, ठाकुरजी की पोशाक, नेपकिन, कपड़ों की कढ़ाई बुनाई, मोमबत्ती, डिजाइनिग और पशुपालन परंपरागत तरीके से कर रहे हैं, अब इन कार्यों के विशेषज्ञ समूहों को मिलने लगेंगे। जो समूहों को नई ऊंचाई देने का काम करेगा।
-बलराम, परियोजना निदेशक।