ठाकुरजी की बंसी पर खिची चली आई दुनिया
चंद्रमा की धवल चांदनी में श्वेत वस्त्र और मोर-मुकुट कटि-काछनी और हीरे-मोती और जवाहरात का श्रृंगार और अधरों पर मुरली धरे ठा. बांके बिहारी ने शरद उत्सव पर महारास की मुद्रा में भक्तों को दर्शन दिए तो भक्त भी आल्हादित हो उठे।
वृंदावन: चंद्र की किरणे नभ और थल में खेल रही थीं, ठाकुर बांके बिहारी श्वेत वस्त्र, मोर मुकुट, कटि कछनी, हीरे मोती और जवाहरतों का श्रृंगार सज संवर कर बांसुरी बजा रहे थे। इस अद्भुत छटा को एकटक निहारने को दुनिया भर के भक्त आज उनके आंगन झुक रहे थे।
शरद पूर्णिमा पर ठाकुर बांके बिहारीजी मंदिर में लग रहा था कि आज अमृत बरस रहा है। देश विदेश के भक्त अमृत की इस रसधार में अपने तन मन को भिगाने के लिए उतावले थे। उनकी भक्ति के आगे सुरक्षा की सभी व्यवस्थाएं ध्वस्त हो चुकी थी। श्वेतांबर में ठा. बांकेबिहारी की अपलक झांकी को आंखों में सदा सदा के लिए कैद करने के लिए भक्त हट नहीं रहे थे। धक्का मुक्का मची हुई थी। सुबह मंदिर के पट खुलने के साथ ही भक्त भगवान के दर्शन करने के लिए आने लगे थे। तय समय से एक घंटे अधिक दर्शन खुले, मगर ये वक्त भी कम था। दोपहर को राजभोग आरती के बाद पट बंद हुए तो श्रद्धालुओं ने भी मंदिर के आसपास डेरा डाल लिया। शाम को पट खुले तो ठाकुरजी का आंगन खचाखच भर चुका था। देर शाम को चंद्रमा की धवल चांदनी में रात 10.30 बजे तक ठाकुरजी दर्शन देते रहे। शयन आरती मंदिर के पट बंद हो गए।
-हर मंदिर में महारास के दर्शन:
शरद पूर्णिमा पर श्वेत वस्त्रों में महारास की पोशाक धारण किए ठाकुरजी शहर के हर मंदिर में दर्शन दे रहे थे। भगवान के इस मनोहारी झांकी के दर्शनों को श्रद्धालुओं ने एक मंदिर से दूसरे मंदिर दौड़ते नजर आए। राधाबल्लभ मंदिर, सप्तदेवालय राधादामोदर मंदिर, राधारमण, राधाश्यामसुंदर, गोविद देव, गोपीनाथ, मदनमोहन, गोकुलानंद मंदिर समेत अन्य मंदिरों में ठाकुरजी ने महारास लीला स्वरूप में भक्तों को दर्शन दिए। -भोग में परोसी खीर और चंद्रकला-
शरद पूर्णिमा पर ठा. बांकेबिहारीजी को राजभोग और शयनभोग में पंचमेवा युक्त खीर के अलावा चंद्रकला विशेष भोग के रूप में परोसी गई। ठाकुरजी का प्रसाद लगाकर भक्तों को बांटा। शरद की चांदनी और ठाकुरजी का प्रसाद लगाने के बाद अमृत हुई खीर की एक-एक बूंद पाने को भक्त उतावले दिखे।