जब अकबर के सामने स्वामी हरिदास ने मना कर दिया गाने से
निधिवन राज में भेष बदलकर अकबर ने सुना स्वामी हरिदास का संगीत
वृंदावन, जासं। शास्त्रीय संगीत के सितारे स्वामी हरिदास की भूमि वृंदावन को संगीत साधकों का तीर्थ मानते हैं। यही वह भूमि है, जहां संगीत साधना से स्वामी हरिदास ने ठा. बांकेबिहारीजी का प्राकट्य किया। स्वामी हरिदास के संगीत के जब बांकेबिहारी मुरीद हो गए, तो राजा-महाराजाओं की बात क्या की जाए। बादशाह अकबर के दरबारी तानसेन अपने संगीत के लिए प्रख्यात थे। वह स्वामी हरिदास के शिष्य थे। एक दिन बादशाह अकबर ने तानसेन से उनके गुरु स्वामी हरिदासजी का गायन सुनने की इच्छा जताई और तानसेन के साथ वे वृंदावन आ गए, लेकिन स्वामी हरिदास ने बादशाह अकबर के सामने गाने से इन्कार कर ही दिया। इतना ही नहीं जब अकबर ने कुछ मांगने को स्वामी हरिदास से कहा तो स्वामीजी ने एक ही वस्तु मांगी कि भविष्य में संतों की इस भूमि में न आना।
प्राचीन इतिहासकार विसेंट स्मिथ ने अपने अकबर द ग्रेट मुगल नामक ग्रंथ में विक्रम संवत 1627 में अकबर बादशाह का वृंदावन निधिवन आना तथा दिव्य ²ष्टि से श्रीवृंदावन के चिन्मय तत्व को देखने का उल्लेख किया है। बादशाह अकबर के बारे में उल्लेख है कि एक दिन अकबर ने तानसेन के गायन पर रीझकर कहा तानसेन, तुम्हारे जैसा संगीतज्ञ और कोई नहीं। तानसेन ने कान पकड़े और बोले खुदा के लिए ऐसा मत कहिए। मेरे गुरु स्वामी हरिदास के आगे मैं कुछ भी नहीं। अकबर ने कहा स्वामी हरिदास को दरबार में बुलाओ, मैं उनका संगीत सुनना चाहता हूं। तानसेन बोले उनके गुरु सिर्फ प्राण प्रियतम भगवान श्रीराधाकृष्ण के लिए ही गाते हैं, किसी व्यक्ति को प्रसन्न करने अथवा धन व प्रतिष्ठा के लिए नहीं। आप उन्हें सुनना चाहते हैं, तो पद को भुलाकर वृंदावन चलना पड़ेगा। अकबर वृंदावन के लिए चल दिए। इसके बाद तानसेन ने उन्हें तानपुरा पकड़ा कर कहा आपको स्वामीजी सेवक समझेंगे, तो भजन सुनने में सहूलियत होगी। बादशाह इसके लिए तैयार हो गए। निधिवन में जब स्वामीजी का गायन सुनने को मिला तो अकबर कृतज्ञ हो गया, लेकिन स्वामीजी अपनी दिव्य ²ष्टि से अकबर को पहचान गए। अकबर के सामने गाने का प्रस्ताव रखा तो स्वामीजी ने मनाकर दिया था। अकबर ने स्वामीजी से अपनी बादशाहत दिखाते हुए कुछ मांगने का आग्रह किया, तो स्वामीजी हंस पड़े, बोले अकबर कुछ देना ही है तो बस इतना दे कि अब भविष्य में कभी भी संतों की इस भूमि पर न आना।