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बरसती आग के बीच चार घंटे किसी तपस्या से कम नहीं

मंदिर के पट बंद होने के बाद छांव की तलाश में भटकते हैं भक्त दुकानों के फड़ और फुटपाथ पर दोपहर गुजारने को होते हैं मजबूर

By JagranEdited By: Published: Sat, 27 Apr 2019 12:28 AM (IST)Updated: Sat, 27 Apr 2019 12:28 AM (IST)
बरसती आग के बीच चार घंटे किसी तपस्या से कम नहीं
बरसती आग के बीच चार घंटे किसी तपस्या से कम नहीं

वृंदावन, जासं। आसमान से बरसती आग के बीच भक्तों के भगवान के दर्शन किसी तपस्या से कम नहीं है। दोपहर को 12 बजे मंदिरों के पट बंद हो जाते हैं। शाम को चार से पांच बजे के बीच पट खुलते हैं। ऐसे में चार से पांच घंटे बिताने के लिए भक्तों को छांव की तलाश में भटकना पड़ता है।

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मंदिरों के आसपास दुकानों के फड़, सड़क किनारे पेड़ की छांव में समय बिताने को मजबूर श्रद्धालुओं के लिए न तो मंदिरों के प्रबंधन और न ही प्रशासन के पास ऐसी कोई योजना है जिससे श्रद्धालुओं को राहत मिले।

शुक्रवार की दोपहर जब बांकेबिहारी मंदिर के पट बंद होने के बाद जो श्रद्धालु समय पर दर्शन करने नहीं पहुंच सके वे शाम को मंदिर के पट खुलने का इंतजार कर रहे थे। दोपहर को खुले आसमान में तेज धूप से बचने के लिए बंद हुईं दुकानों के फड़ पर बैठकर दोपहर गुजारने को मजबूर हो रहे हैं। कुछ लोग सड़कों के किनारे फुटपाथ दोपहर गुजारने को मजबूर होने लगे।

जयपुर से आए शिवकुमार गुप्ता ने बताया कि वे परिवार के साथ बांके बिहारीजी के दर्शन करने आए थे, लेकिन कुछ देर होने के कारण बिहारीजी के पट बंद हो गए। अब शाम को दर्शन करेंगे। इसलिए दोपहर का समय बिताने के लिए बंद दुकान के बाहर बैठकर समय गुजार रहे हैं। यहां कोई ऐसी जगह भी नहीं मिली कि दो घंटे छांव में बैठकर समय बिताया जा सकें।


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