धान बीमार, किसान परेशान
बासमती (पूसा-1121) प्रजाति के धान की फसल में आई रहस्यमयी बीमारी से किसानों में हाहाकार मचा हुआ है। पौधों से दानाविहीन सफेद बाली निकल रही है। कृषि वैज्ञानिक अभी तक इसका पता नहीं कर सके हैं। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद दिल्ली के वैज्ञानिकों से संपर्क कर बीमारी की जानकारी कराई जा रही है।
मनोज चौधरी, मथुरा: बासमती (पूसा-1121) प्रजाति के धान की फसल में आई रहस्यमयी बीमारी से किसानों में हाहाकार मचा हुआ है। पौधों से दाना विहीन सफेद बाली निकल रही है। कृषि वैज्ञानिक अभी तक इसका पता नहीं कर सके हैं। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद दिल्ली के वैज्ञानिकों से संपर्क कर बीमारी की जानकारी कराई जा रही है। दुग्ध विकास मंत्री लक्ष्मी नारायण चौधरी ने करीब 120 गांवों का भ्रमण कर सोमवार को मुख्यमंत्री को धान की सत्तर फीसद फसल के नष्ट होने का पत्र भी दे दिया है। करीब तीस हजार हेक्टेयर कपास की फसल की बर्बाद भी इसमें जिक्र किया है। पांच-छह बार के कीटनाशकों का छिड़काव भी बेअसर है। पूरा जिले के धान उत्पादकों के होश उड़े हुए हैं।
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धान की फसल में आई बीमारी से प्रभावित किसानों की पीड़ा से डीएम सर्वज्ञराम मिश्र को अवगत करा दिया गया है। एसडीएम, तहसीलदार, उप संभागीय कृषि प्रसाद अधिकारी, अग्रणी बैंक ¨सडीकेट, बीमा कंपनी टाटा एआइजी प्रभारी और केवीके वैज्ञानिकों की टीम गठित गठन कर सर्वे के डीएम से आदेश भी कराए दिए गए हैं।
का¨रदा ¨सह, भाजपा विधायक
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पूसा-1121 भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की करीब दस साल पुरानी प्रजाति हैं। पहली बार इसमें बीमारी है, जो कीटनाशकों से नियंत्रित नहीं हो पा रही है। पूसा के ब्रीडर वैज्ञानिक डॉ. एके ¨सह से संपर्क किया गया है। लक्षण के आधार पर इसे फीजियोलॉजीकल समस्या बताया गया है। परीक्षण से वास्तविकता सामने आएगी।
डॉ. एसके मिश्रा, कृषि विज्ञान केंद्र के अध्यक्ष एवं वरिष्ठ वैज्ञानिक -धान की प्रजाति--अनुमानित क्षेत्रफल
--1121 पूसा पूसा सुगंध--75 फीसद
--1509 पूसा बासमती--25 फीसद
--5 पूसा सुगंध--5 फसीद
--धान का कुल रकबा--48668 हेक्टेयर --गंधीबग कीट और भूरा फुदका को एजाडिरैक्टिन 0.15 फीसद ईसी 25 ली मात्रा 500-600 पानी मिला प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें। सैनिक कीट के लिए फेरवेरलरेट 0.04 फीसद धूल 20 से 25 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से शाम को छिड़काव करें या फिर मैलाथियान 5 प्रतिशत धूल का छिड़काव भी किया जा सकता है।
--विभाति चतुर्वेदी, प्रभारी कृषि रक्षा अधिकारी