चांदी उद्योग: कारोबार मथुरा का, 'चांदी' आगरा की
फिनिशिग महंगी लेबर गिलट के कारोबार ने उद्योग को किया प्रभावित ताज नगरी का कार्य आठ गुना बढ़ा कई कारोबारियों ने काम भी किया शिफ्ट
गगन राव पाटिल, मथुरा: कभी देशभर में मथुरा की चांदी की चमचमाहट देखने लायक होती थी। समय के साथ यह चमक कम होती गई। इसका प्रमुख कारण यह है कि पड़ोसी शहर के कारोबारियों ने नये-नये डिजाइन की डिमांड से कदमताल मिलाया और मथुरा से यह हुनर छीन लिया।
कान्हा की नगरी में चांदी का कारोबार अपने नाम की तरह था। 40-50 वर्षों से यहां के इस कारोबार की देशभर में तूती बोलती थी। इससे कई कारोबारी बने और हजारों को पेट पालने का मौका दिया। खासतौर पर यहां की पाजेब के दीवाने पूरे देश में थे। दूरदराज से आने वाले ग्राहकों का तांता लगा रहता था। अब कारोबार में पहले जैसी बात नहीं रही।
चांदी कारोबारी योगेश जॉली सर्राफ का कहना है कि मथुरा का कारोबार पूरे हिदुस्तान में खास जगह रखता था। यहां की अट्ठा पायल की खास मांग रहती थी। 10 से 15 साल में बदलाव आना शुरू हो गया। पड़ोसी जिला आगरा और उसके बाद राजकोट के कारोबार ने काफी चोट पहुंचाई। माल की फिनिशिग और सस्ती लेबर के कारण वहां के कारोबारी बाजार में जगह बनाते गए। इधर, फिनिशिग, महंगी लेबर, गिलट के कारोबार ने उद्योग को प्रभावित किया। गिलट के काम ने चांदी जैसे डिजाइन निकालने शुरू कर दिए। इधर, लेबर को भी गिलट के कारोबार में काम करने का विकल्प मिल गया। इसलिए वे आगरा की तरह कम कीमतों में काम करने को राजी नहीं हुए।
एक अन्य कारोबारी राजेंद्र कुमार हाथी वालों का कहना है कि प्रदूषण के मद्देनजर ढोल, वाइब्रेटर वालों को शहर से बाहर करना भी ठीक नहीं रहा। दूर होने से कॉस्ट महंगी हो गई, जिसका असर उत्पाद की कीमतों पर पड़ना शुरू हो गया। कुल मिलाकर मथुरा का कारोबार 40 फीसद तक गिर गया। आगरा में संभावनाएं तलाश रहे: कारोबारियों का कहना है कि कई उद्यमी अब आगरा में अपने कारोबार की संभावनाएं तलाश रहे हैं। वहां मथुरा की तुलना में आठ गुना अधिक उत्पादन होता है। वहां पर काम करने के लिहाज से यहां जैसी समस्याएं नहीं हैं। आसानी से सस्ती और कुशल लेबर उपलब्ध हो जाती है। कुछ कारोबारी वहां जा भी चुके हैं। किया जा रहा अपडेट: संकट में जूझ रहा चांदी उद्योग खुद को अपडेट करने में भी लगा है। कारोबारियों का कहना है कि जिनका पुश्तैनी काम है, वे खुद को अपडेट करने में लगे हैं। कोशिश कर रहे हैं कि बाजार के मुताबिक अपने माल को तैयार करें। हालांकि यह बदलाव धीरे-धीरे ही देखने को मिलेगा।
-40-50 साल पुराना कारोबार
-800-1000 कारोबारी
- 500 करोड़ का औसतन टर्नओवर
-20 हजार से अधिक को रोजगार
-40 फीसद तक गिरा उद्योग