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Shri Krishna Janmabhoomi Case: पढ़ें अब तक दायर वाद, समझौते के मुख्य बिंदु, 13.37 एकड़ भूमि का है पूरा मामला

Shri Krishna Janmabhoomi Case मथुरा की अदालत में श्रीकृष्ण जन्मभूमि पर शाही ईदगाह हटाने का मामला सुनवाई में है। कई वाद अब तक दायर किए गए हैं। 31 महीने पुराने वाद पर हाईकोर्ट ने एक फैसला सुनाया है। यहां अमीन सर्वेक्षण की तारीख भी अदालत में है।

By Abhishek SaxenaEdited By: Abhishek SaxenaPublished: Tue, 02 May 2023 08:33 AM (IST)Updated: Tue, 02 May 2023 08:33 AM (IST)
Shri Krishna Janmabhoomi Case: पढ़ें अब तक दायर वाद, समझौते के मुख्य बिंदु, 13.37 एकड़ भूमि का है पूरा मामला
Shri Krishna Janmabhoomi Case: अब तक दायर हुए हैं 15 वाद, समझौते के मुख्य बिंदु

मथुरा, जागरण टीम। श्रीकृष्ण जन्मभूमि पर ईदगाह को हटाने के लिए वाद दायर किए गए हैं। हाईकोर्ट ने 31 महीने पुराने वाद पर फैसला सुनाया, जिससे मुस्लिम पक्ष को झटका लगा है। श्रीकृष्ण जन्मस्थान मामले में अब तक 15 वाद दायर हो चुके हैं। इसमें तीन वाद पैरवी न होने के कारण खारिज हो चुके हैं।

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खारिज एक वाद लखनऊ निवासी अधिवक्ता शैलेंद्र सिंह का था, जिन्होंने फिर प्रार्थना पत्र देकर अपने वाद में फिर सुनवाई किए जाने की मांग की है। इसके अलावा वर्तमान में मनीष यादव, महेंद्र प्रताप सिंह के दो वाद, दिनेश शर्मा, अनिल त्रिपाठी, पवन शास्त्री, जितेंद्र सिंह बिसेन, गोपाल गिरि, विष्णु गुप्ता और आशुतोष पांडेय और कौशल किशोर ठाकुर के वाद न्यायालय में चल रहे हैं।

समझौते में थे बिंदु

श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ और शाही मस्जिद ईदगाह कमेटी के बीच 1968 में हुए समझौते में बिंदु शामिल किए गए थे। तब ये समझौता ढाई रुपये के स्टैंप पेपर पर हुआ था। जब समझौता हुआ था, तब विश्व हिंदू परिषद ने इसका विरोध किया था।

  1. ईदगाह के ऊपर के चबूतरे की उत्तर व दक्षिण दीवारों को पूरब की ओर रेलवे लाइन तक बढ़ा लिया जाए। इन दोनों दीवारों का निर्माण मस्जिद कमेटी करेगी।
  2. दीवारों के बाहर उत्तर व दक्षिण की ओर मस्जिद कमेटी मुस्लिम आबादी से खाली कराएगी और भूमि संघ को देगी।
  3. दक्षिण की ओर जीने का मलबा एक अक्टूबर 1968 तक मस्जिद कमेटी उठा लेगी।
  4. उत्तर दक्षिण वाली दीवारों के बाहर मुस्लिम आबादी में जिन मकानों का बैनामा कमेटी ने अपने हक में कराया है, उसे संघ को सौंपेगी।
  5. ईदगाह के जो पनाले श्रीकृष्ण जन्मस्थान की ओर हैं, उसे संघ अपने खर्च से पाइप लगाकर ईदगाह की कच्ची कुर्सी की ओर मोड़ देगा।
  6. पश्चिम उत्तरी कोने में जो भूखंड संघ का है, उसमें कमेटी अपनी कच्ची कुर्सी को चौकोर कर लेगा। वह उसी की मिल्कियत मानी जाएगी।
  7. रेलवे लाइन के लिए जो भूमि संघ अधिगृहीत करा रहा है, जो भूमि ईदगाह के सामने दीवारों के भीतर आएगी, उसे कमेटी को दे देगा।
  8. दोनों पक्षों की ओर से जो मुकदमे चल रहे हैं, उनमें समझौते की सभी शर्तें पूरी हो जाने पर दोनों पक्ष राजीनामा दाखिल कर देंगे।

रंजना अग्निहोत्री ने किया था वाद दायर

अधिवक्ता रंजना अग्निहोत्री ने खुद को भगवान श्रीकृष्ण का भक्त बता 25 सितंबर 2020 को सिविल जज सीनियर डिवीजन छाया शर्मा के न्यायालय में वाद दायर कर कहा था कि श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ (अब श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान) और शाही मस्जिद ईदगाह के बीच 12 अक्टूबर 1968 को हुआ समझौता अवैध है। चूंकि 13.37 एकड़ भूमि श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट के नाम पर है, इसलिए सेवा संघ समझौता नहीं कर सकता है। समझौता रद करते हुए पहले 30 जुलाई 1973 और फिर सात नवंबर 1974 को न्यायालय से हुई डिक्री को निरस्त कर किया जाए। शाही मस्जिद ईदगाह को हटाकर पूरी भूमि श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट को सौंपी जाए।

अब तक हुए मुकदमे

  1. पहला मुकदमा 15 मार्च 1832 को अताउल्ला खातिब नामक व्यक्ति ने कलेक्टर की कोर्ट में दायर वाद में कहा था कि 1815 में पटनीमल के नाम कटरा केशवदेव की जमीन नीलाम की गई है, उसे निरस्त किया जाए और मस्जिद की मरम्मत करने दी जाए। तब कलेक्टर ने नीलामी को जायज ठहराया था।
  2. दूसरा मुकदमा 1897 में अहमदशाह नामक व्यक्ति ने कटरा केशवदेव चौकीदार गोपीनाथ के खिलाफ मथुरा थाने में मस्जिद की जमीन पर सड़क बनाने और रोकने पर मारपीट करने की रिपोर्ट दर्ज कराई। 12 फरवरी 1897 को मुकदमे को मूर्खतापूर्ण मानते हुए निरस्त कर दिया गया और ये माना की ईदगाह भी पटनीमल की संपत्ति है।
  3. तीसरा मुकदमा 1920 में मुस्लिम पक्ष की ओर से काजी मोहम्मद अमीर ने कटरा केशवदेव के पश्चिम में स्थित गंगा जी के मंदिर पर हक जताया। विवाद निरस्त हुआ।
  4. चौथा मुकदमा 1928 में पटनीमल के वारिस राय कृष्ण दास ने मोहम्मद अब्दुल्ला खां पर मुकदमा किया था। इसमें कहा गया था कि मस्जिद के आसपास पड़े सामान का विपक्षी इस्तेमाल कर रहे हैं। न्यायालय ने कहा कि राय कृष्ण दास ही भूमि के स्वामी हैं। मुस्लिम वहां से कोई वस्तु प्राप्त नहीं करेंगे।
  5. पांचवां मुकदमा 1946 में मस्जिद पक्ष की ओर से बारीताला ने पंडित गोविंद मालवीय और मदन मोहन मालवीय आदि पर मुकदमा किया। इसमें मालवीय आदि को दी गई जमीन को अवैध बताया गया। लेकिन फैसला मालवीय आदि के पक्ष में आया।
  6. छठा मुकदमा 27 सितंबर 1955 को श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट ने पंडित गोविंद मालवीय आदि का नाम कागजों में दर्ज कराने को म्युनिसिपल बोर्ड को प्रार्थना पत्र दिया था। प्रतिवादी ने अपील की, लेकिन निरस्त हुई। विपक्षी ने एडीजे की कोर्ट में वाद दायर किया, लेकिन फैसला ट्रस्ट के पक्ष में आया।
  7. सातवां मुकदमा 1960 में श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ ने शौकत अली आदि के खिलाफ मुकदमा दायर किया। इसमें सेवा संघ की ओर से अपनी जमीन से न हटने का आरोप लगाया गया। न्यायालय ने कहा कि जो लोग वहां से न हटें,उनकी चल अचल संपत्ति न्यायालय को सौंपी जाए।
  8. आठवां मुकदमा 1961 में शौकत अली व अन्य 16 लोगों ने श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ पर मुकदमा एडिशनल सिविल जज के न्यायालय में किया था। इसमें मुंसिफ कोर्ट के मुकदमे को रोकने की मांग की गई। न्यायालय ने कहा कि राय कृष्ण दास को जो अधिकार प्राप्त थे, वह अब श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट के पास होंगे।
  9. नौवां मुकदमा 1965 में श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ ने विपक्षी बुद्धू व खुट्टन के खिलाफ ज्यूडिशियल मुंसिफ के यहां मुकदमा दायर किया। 26 फरवरी 1969 में इनका फैसला हुआ। इस आखिरी मुकदमे में जन्मस्थान की जमीन पर किराएदार बुद्धू आदि पर जलकर नहीं देने का आरोप था। फैसला श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ के पक्ष में आया। 

ये थी शाही मस्जिद ईदगाह कमेटी की आपत्ति

शाही मस्जिद ईदगाह कमेटी के सचिव तनवीर अहमद ने बताया कि जिला जज ने अपने आदेश में कहा था कि रंजना अग्निहोत्री का वाद पूजा स्थल अधिनियम-1991 और परिसीमा अधिनियम -1963 से बाधित नहीं है। इस आदेश के विरुद्ध हमने हाई कोर्ट में याचिका दायर की और कहा कि पुनरीक्षण याचिका ही सुनवाई योग्य नहीं थी। जिला जज का आदेश भी गलत है। उन्होंने पूजा स्थल अधिनियम और परिसीमा अधिनियम से बाधित नहीं बताया है, ये जिला जज के अधिकार क्षेत्र में नहीं है।

तनवीर अहमद ने बताया कि हाई कोर्ट ने अपने आदेश में जिला जज के पूर्व के आदेेश को खारिज कर दिया है। हमने हाईकोर्ट से जो मांग की थी, वह पूरी हुई है। ऐसा न होता तो बाकी के वादों में जिला जज के आदेश को वादी आधार बनाते हैं। हम रंजना अग्निहोत्री के वाद में न्यायालय में वाद की पोषणीयता पर पहले सुनवाई की मांग करेंगे।


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