शांतनु कुंड का गंदा जल देख परिक्रमार्थी आहत
मथुरा: ब्रज चौरासी कोस का तीसरा पड़ाव शांतनु कुंड है। कहने को तो ये श्
जागरण संवाददाता, मथुरा: ब्रज चौरासी कोस का तीसरा पड़ाव शांतनु कुंड है। कहने को तो ये शांतनु महाराज की तपस्थली रही है, लेकिन वर्तमान में कुंड में मल-मूत्र गिर रहा है। शराब की बोतल पानी के ऊपर तैर रही हैं। परिक्रमार्थियों के लिए न पीने को पानी है और न बैठने की सुविधा यहां की गई है। रोशनी के भी इंतजाम न किए गए हैं। ग्रामीण भी कुंड में कपड़े धो रहे हैं।
मथुरा-गोवर्धन रोड स्थित गांव सतोहा में शांतनु कुंड है। पिछले पड़ाव कमोद वन से इसकी दूरी करीब आठ किमी है। खेतों में चल रही श्रीमदभगवत कथा का रसपान करते हुए यात्रा टूटी पुलिया, खेत और कच्चे रास्तों से करीब एक किमी होते हुए मथुरा-सौंख मार्ग स्थित ऊंचागांव पहुंचती हैं। यात्रियों को रोड पार करना होता है, लेकिन यहां कोई भी सुरक्षा इंतजामात नहीं हैं। परिक्रमार्थी थक हार जाते हैं तो रोड के किनारे ही पेड़ की छांव पर कपड़ा बिछाकर आराम फरमाते दिखाई देते हैं। यात्रा नौगांव बौहरे नगला होते हुए शांतनु कुंड के लिए प्रस्थान करती हैं। रास्ता बेहद दुर्गम हैं। कहीं कच्ची तो कहीं पक्की सड़क यात्रियों का मनोबल गिराती नजर आती है। श्रद्धालु कुंड पर पहुंचते हैं तो उसका गंदा जल देखकर उनकी भावनाएं आहत होना लाजिमी है। एक ओर की दीवार टूटने से गंदा पानी भी कुंड में गिरता है। ग्रामीण भी इसी जल में कपड़े धोते हैं। यहां पर हैंडपंप भी अब दम तोड़ चुका है। मंदिर, टीला और कुंड करीब 12 बीघा क्षेत्र में फैला हुआ है, लेकिन गंदगी के कारण श्रद्धालु यहां रुकना पसंद नहीं करते। वह यहां शांतनु बिहारी कृष्ण बलराम, महाप्रभु जी की बैठक व हनुमान मंदिर के दर्शन कर अगले पड़ाव बहुलावन की ओर रवाना हो जाते हैं। इतिहास:
कहा जाता है कि इस स्थान पर भीष्म के पिता शांतनु महाराज ने पुत्र की कामना को लेकर तपस्या की थी। उनकी इस तपस्या से प्रसन्न होकर चतुर्भुजी नारायण प्रकट हुए जिन्हें आज यहां शांतनु बिहारी के रूप में पूजा जा रहा है। बताते हैं कि इस कुंड में महिलाएं संतान प्राप्ति के लिए स्नान करती हैं। मंदिर के पीछे गोबर का सतिया बनाकर उसे पूजती हैं। यह जगह सतोहा नाम से भी जानी जाती है। शौचालय की खुली पाइप लाइन:
शांतनु बिहारी मंदिर के समीप ही मंदिर सेवायत नृ¨सह महाराज ने अपना एक निजी शौचालय बनवा रखा है। ताज्जुब की बात तो यह है कि कुंड में गंदगी की दुहाई देने वाले ये बाबा स्वयं ही इस कुंड को प्रदूषित कर रहे हैं। शौचालय की पाइप लाइन मंदिर से सीधी झाड़ियों में गिर रहीं है। इसके नीचे ही कुंड बना हुआ है। पूछने पर कहते हैं कि एक आदमी कितना इस शौचालय का उपयोग करता होगा। इतना ही नहीं देर शाम यहां शराबियों का जमघट लगता है। सुबह कुंड में बीयर व शराब की बोतल तैरती देखी जा सकती हैं। ये हैं प्रमुख समस्याएं--
-कुंड में जमा सिल्ट व गंदगी
--पीने के पानी का नहीं पर्याप्त इंतजाम
--परिक्रमार्थियों ने लिए नहीं बैठने की समुचित व्यवस्था
--रात्रि में प्रकाश की व्यवस्था भी है फेल
--शौच के लिए भटकते हैं यात्री वर्जन---
यात्री यहां आते तो जरूर है, लेकिन पड़ाव स्थल होने के नाते उन्हें यहां कोई भी सुविधा उपलब्ध नहीं हो पाती। कुंड में गंदगी भरी पड़ी है। मंदिर के सेवायत पुजारी के शौचालय की ही पाइप लाइन भी कुंड में गिर रही है, जिससे श्रद्धालु आहत होते हैं।
चमन, ग्रामीण प्रदेश सरकार ब्रज को तीर्थ स्थल घोषित कर चुकी है, फिर भी शासन-प्रशासन की ओर इस पड़ाव के विकास की ओर ध्यान दिए जाने की आवश्यकता है। न तो लाइट की व्यवस्था है और न पर्याप्त पीने को पानी। श्रद्धालु व परिक्रमार्थी आते हैं और दर्शन कर चले जाते हैं।
नृ¨सहदास महाराज, सेवायत