चमत्कारों से प्रभावित लोगों ने बनाया आसाराम को संत: शंकराचार्य
वृंदावन: जगद्गरु शंकराचार्य स्वरूपानंद ने रविवार को कहा कि एक गुरु, एक स
जागरण संवाददाता, वृंदावन: जगद्गरु शंकराचार्य स्वरूपानंद ने रविवार को कहा कि एक गुरु, एक संत अगर किसी भी महिला के साथ दुराचार करे वह सबसे बड़ा अपराध है। आसाराम को सजा इसलिए मिली है कि उन्होंने नाबालिग के साथ दुष्कर्म किया। उन्हें सजा पहले ही मिल जानी चाहिए थी। आसाराम को पैदा करने वाले लोग भी हमारे बीच हैं। ये चमत्कारों से प्रभावित होकर किसी को भी संत मान लेते हैं। ये परंपरा ईसाइयों ने शुरू की है।
रमणरेती मार्ग स्थित हांडा कुटी में पत्रकारों से रूबरू शंकराचार्य ने कहा कि आसाराम मामले में कई गवाहों की हत्या हो चुकी है। आसाराम ने ऐसा अपराध किया जिसके कारण उन्हें पहले ही सरेंडर हो जाना चाहिए था। कहा कि संत अथवा गुरु किसी के साथ भी दुर्व्यवहार करता है चाहे वह नाबालिग हो अथवा पौढ़ हो, सजा के लायक है। उन्होंने जनता को संदेश देते हुए कहा कि जिस तरह आप पानी पीने से पहले उसकी परख कर लेते हैं, उसी प्रकार गुरु बनाने से पहले उसकी परख करनी चाहिए। समाज में बढ़ रहे दुष्कर्म के मामलों पर शंकराचार्य ने कहा कि इसमें शिक्षानीति का दोष है। सरकार चाहती तो है कि कोई भी अशिक्षित नहीं रहे, लेकिन शिक्षा कौन सी मिले, ये तय मानव संसाधन मंत्रालय करता है। जिसके पाठ्यक्रम में न तो गीता है और न ही रामायण। भारतीय धर्म संस्कृति आधारित अगर शिक्षा बालकों को मिले तो इस प्रकार का दोषपूर्ण समाज नहीं मिल सकता।
राम जन्मभूमि मंदिर मुद्दे पर शंकराचार्य ने कहा कि अयोध्या में जहां मंदिर का खंभा स्थापित है, उस स्थान पर मंदिर का निर्माण होना चाहिए। आरएसएस के राज्यसभा में पूर्ण बहुमत के बाद मंदिर जल्द बनाए जाने के वादों पर प्रतिक्रिया देते हुए शंकराचार्य ने कहा कि भारतीय संविधान के अनुसार देश की कोई भी धर्म निरपेक्ष सरकार न तो मंदिर बना सकती है, न ही मस्जिद और गुरुद्वारा। पता नहीं आरएसएस कैसे इस तरह का प्रचार करती है। राममंदिर का निर्माण तो रामभक्त ही मिलकर करेंगे।