Mathura: शाही मस्जिद ईदगाह का होगा अमीन निरीक्षण, फास्ट ट्रैक कोर्ट ने हिंदू सेना के वाद पर दिया आदेश
श्रीकृष्ण जन्मस्थान मामले में बुधवार को सिविल जज सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक कोर्ट ने ऐतिहासिक निर्णय दिया। न्यायालय ने विवादित स्थल का अमीन से निरीक्षण कराने का आदेश दिया है। निरीक्षण की रिपोर्ट 17 अप्रैल को न्यायालय के समक्ष सुनवाई के दौरान रखी जाएगी।
मथुरा, जागरण संवाददाता: श्रीकृष्ण जन्मस्थान मामले में बुधवार को सिविल जज सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक कोर्ट ने ऐतिहासिक निर्णय दिया। न्यायालय ने विवादित स्थल का अमीन से निरीक्षण कराने का आदेश दिया है। निरीक्षण की रिपोर्ट 17 अप्रैल को न्यायालय के समक्ष सुनवाई के दौरान रखी जाएगी।
अमीन निरीक्षण का आदेश पूर्व में अपर सिविल जज सीनियर डिवीजन (तृतीय) ने बीते वर्ष आठ दिसंबर को दिया था। लेकिन शाही मस्जिद ईदगाह कमेटी ने बिना उन्हें सुने निरीक्षण का आदेश देने पर की बात कहकर आपत्ति दायर की थी। आज वादी के प्रार्थना पत्र पर न्यायालय ने पूर्व का आदेश बहाल कर दिया।
हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष दिल्ली निवासी विष्णु गुप्ता और उपाध्यक्ष गुरुग्राम निवासी सुरजीत सिंह ने बीते वर्ष आठ दिसंबर को अपर सिविल जज सीनियर डिवीजन (तृतीय) सोनिका वर्मा के न्यायालय में वाद दायर कर श्रीकृष्ण जन्मस्थान परिसर से शाही मस्जिद ईदगाह हटाने की मांग की थी।
न्यायालय में कहा कि श्रीकृष्ण जन्मस्थान पर बने मंदिर को मुगल शासक औरंगजेब ने 1669-70 में तोड़कर शाही मस्जिद ईदगाह बनाई थी। बाद में 1968 में शाही मस्जिद ईदगाह कमेटी और श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ के बीच समझौता हुआ। जबकि संघ को समझौते का अधिकार नहीं था। ये समझौता रद किया जाए। उन्होंने शाही मस्जिद ईदगाह हटाकर पूरी 13.37 एकड़ जमीन श्रीकृष्ण जन्मस्थान को सौंपने की मांग की है।
इस मामले में श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान, श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट, शाही मस्जिद ईदगाह कमेटी और उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड को प्रतिवादी बनाया गया। उसी दिन न्यायालय ने अमीन निरीक्षण का आदेश देकर आख्या 20 जनवरी को मांगी। लेकिन निरीक्षण से पहले ही शाही मस्जिद ईदगाह कमेटी ने न्यायालय में आपत्ति प्रस्तुत कर कहा कि बिना उन्हें सुने न्यायालय ने अमीन निरीक्षण का आदेश दिया है, ये न्याय संगत नहीं है।
ये भी कहा कि वादी को न्यायालय ने आदेश के बाद उसकी तीन दिन में पैरवी करने को कहा था, वादी ने पैरवी नहीं की, इसलिए ये आदेश स्वत: ही निरस्त हो गया। पिछले दिनों ये वाद अपर सिविल जज के स्थानांतरण के कारण स्थानांतरित होकर सिविल जज सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक नीरज गोंड के न्यायालय में आ गया। बुधवार को इस वाद में सुनवाई हुई।
वादी पक्ष ने न्यायालय में प्रार्थना पत्र प्रस्तुत कर अमीन निरीक्षण का आदेश बहाल करने की मांग की। उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के अधिवक्ता जीपी निगम ने पहले पोषणीयता पर सुनवाई की मांग की और कहा कि हमें वादी के प्रार्थना पत्र पर आपत्ति दर्ज करने का समय दिया जाए। न्यायालय ने सभी पक्षों को सुनने के बाद निर्णय दिया।
वादी के अधिवक्ता बोले
न्यायालय ने हमारी बात को सुनकर पूर्व में दिए गए अमीन निरीक्षण के आदेश को बहाल कर 17 अप्रैल तक रिपोर्ट मांगी है। अब हमें जल्द न्याय मिलेगा। -शैलेश दुबे, अधिवक्ता वादी।
प्रतिवादियों का कहना है
हमने वादी के प्रार्थना पत्र पर आपत्ति करने का न्यायालय से समय मांगा था। पहले इस वाद में पोषणीयता पर सुनवाई की मांग की थी। लेकिन न्यायालय ने समय नहीं दिया। -जीपी निगम, अधिवक्ता, सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड
वादी पक्ष ने न्यायालय को गुमराह करके निरीक्षण का आदेश कराया है। जबकि पूर्व में न्यायालय की पत्रावली में लिखा है कि पहले पोषणीयता के बिंदु पर सुनवाई होगी। ये आदेश न्याय संगत नहीं है। -नीरज शर्मा, अधिवक्ता, शाही मस्जिद ईदगाह कमेटी
हम दर्ज कराएंगे आपत्ति
न्यायालय के अमीन निरीक्षण के आदेश के विरुद्ध शाही मस्जिद ईदगाह कमेटी जिला जज के न्यायालय में या तो पुनरीक्षण याचिका दायर करेगी या फिर निचली न्यायालय में आदेश को निरस्त करने की मांग करेगी। -तनवीर अहमद, सचिव शाही मस्जिद ईदगाह कमेटी
अमीन निरीक्षण में क्या होगा
अधिवक्ता राजकुमार अग्रवाल ने बताया कि न्यायालय के आदेश से न्यायालय का अमीन मौके पर जाकर पूरा निरीक्षण करता है। सर्वे से पहले दोनों पक्षों को सूचित किया जाता है। मौके पर जाकर वह निरीक्षण करेगा। देखेगा कि मौके पर क्या बना है। इसका नक्शा तैयार कर न्यायालय में रिपोर्ट दी जाएगी।
सर्वेक्षण और निरीक्षण में अंतर
वरिष्ठ अधिवक्ता राजेंद्र माहेश्वरी ने बताया कि सर्वेक्षण और अमीन निरीक्षण में अंतर होता है। निरीक्षण में स्थान में जो कुछ बना है, उसका हवाला रिपोर्ट में दिया जाता है। सर्वेक्षण में नाप-जोख होती है। किसी विशेष वस्तु की तलाश के लिए सर्वेक्षण होता है।
ये सनातनियों की जीत
पूर्व में न्यायालय ने हमारे वाद पर अमीन निरीक्षण का आदेश दिया था। लेकिन शाही मस्जिद ईदगाह कमेटी ने इस पर आपत्ति दायर की थी। अब न्यायालय ने फिर अमीन निरीक्षण का आदेश दिया है। ये सनातनियों की जीत है। अब निश्चित ही शाही मस्जिद ईदगाह के हटने का समय आ गया है। -विष्णु गुप्ता, वादी, अध्यक्ष हिंदू सेना